काग़ज़ पे तो अदालत चलती है..
हमने तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये।



तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे?
दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।

फ़िक्र तो तेरी आज भी है..
बस .. जिक्र का हक नही रहा।

पुराने आशिक वफा तलाश करते थै,
आज के आशिक जगह तलाश करते है..


इतना खुश रहो के साला गम बी कहे
गलती से मे यहा कहा आ गया।

मोहब्बत में दूरियों से फर्क नहीं पड़ता

मोहब्बत निभाने वाला सच्चा हो


जुबान सुधर जाए तो
जीवन सुधरने में वक़्त नहीं लगता।


Emotional अत्याचार…
Add करने के बाद Unfriend कर देना…

वो जवानी ही क्या
जिसे लोग पलट कर न देँखेँ

हमारी तलाश,
तेरी लाश पे आके खत्म होगी..


“काश कुछ लोग बेईमान नही होते ,
तो आज इतने लोग परेशान नही होते!”


रात तो क्या पूरी जिन्दगी भी
जाग कर गुजार दूँगा तेरे खातिर ।।।

शाख से फूल तोड़कर मैंने सीखा..
अच्छा होना गुनाह है, इस जहाँ में..!!


कैसे गुजर रही है सभी पूछते तो हैं,
कैसे गुजारता हूँ कोई पुछता नहीं…

अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी,
आशिक़ हो या हो आतंकवादी.

Ek tera noor hi kaafi h..
Sare jhaa ki roshni k liye