Mat chheen apna naam mere lab se istarah….
benaam zindagi me ek tera naam hi to he mera..



गुज़र रहा हूँ तेरे शहर से
क्या कहूँ क्या गुज़र रही है.

मंजिलो से गुमराह कर देते हैं कुछ लोग
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छी बात नही !!

Meri khamoshi bahot kuch kehti hai
Kaan laga kar nahin, Dil laga kar suno


~ Meri Zindagii Ke Taliban Ho Tum
Be’Maqsad Tabahi Macha Rakhii Haii ..’

भूले हैं रफ्ता-रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम,
किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए.


*यहां लोग अपनी गलती नहीं मानते*
*किसी को अपना कैसे मानेंगे…


जब दो लोगों के बीच तीसरा इंसान आ जाता है….
तो दूरियां अपने आप बढ़ जाती हैं !!!!

मोह्ह्ब्ब्त की कहानी को मुकम्म्ल नही कर पाये…
अधूरा था जो किस्सा अधूरा ही छोड आये


अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया ..
तेरा प्यार चाहिये था, एहसान नही


वो ‪‎ना‬ ही मिलते तो ‪‎अच्छा‬ था…
बेकार में ‪‎मोह्हबत‬ से ‪‎नफ़रत‬ हो गयी

पत्थर‬ भी मारोगे तो भर लेंगे झोली ‪‎अपनी‬ …
हम ‪यारो‬ के तोहफ़े कभी ‪‎ठुकराया‬ नही करते


मेरी बरबादियों में तेरा हाथ है मगर…….
में सबसे कह रहा हूँ ये मुकद्दर की बात है…

मिल जायेंगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला
अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता…

तू रूठा रूठा सा लगता है कोई तरकीब बता मनाने की
मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा तू क़ीमत बता मुस्कुराने की…