*यहां लोग अपनी गलती नहीं मानते*
*किसी को अपना कैसे मानेंगे…



मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू,

कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!

-Pata Nahi Ab Haq Hai Ya Nahii,
Par Aaj Bhi Teri Parwaah Karna Achha Lagta Haii .. ‘

-Tum Mere Baad Huye Tanha Aur Maiin Toh Tere Saath Bhi Akeli Thi .. ‘


तमननाओ की महफिल तो हर कोई सजाता है
पर
.
पुरी उसी की होती जो तकदीर लेकर आता है


~Tujhe Khabar Hai Tujhey Sochney Ki Khatir,
Bohat Se Kaam Meiin Kal Par Chorr Detii Hoon .. ‘


वो जो मुझे हँसते हुए देख कर खुश समझते हैं ,
वो अभी मुझे समझे नहीं।

~Hum To Agaaz’E-Mohabbat Mein Hi Lutt Gy,
Log Toh Kehte The Ke Anjaam Bura Hota Haii .. ‘


सुनो एक फ़िक्र, किसी का #ज़िक्र साथ ले जाऊँगा
थोड़ा #हँसा, तो कुछ पल रुला के चला #जाऊँगा


उन्हें देखने सो जो आ जाती है चेहरे पे रौनक,
वो समझते हैं की बीमार का हाल अच्छा है ..

~ Hum Se Bichar Kar Ab Wo Khush
Rehte Hain Afsos! K Hum Ne
Unki Khushi Cheen Rakhi Thi .. ^


*खुद बीमार होकर भी पूछती है तबीयत मेरी…*
*माँ कमजोर है थोड़ी लेकिन मजबूत बड़ी है

यूँ तो कोई शिकायत नहीं मुझे तेरे आज से,
मगर कभी – कभी बिता हुआ कल याद आता है..