Wo royea jaroor hoga,khali kagaj dekh kar
Zindgi kaisi beet raha hai,poocha tha jawab mein…



Tum se Mohabat Thi jo Teri Bewafai
Bardasht kr Gya…..!
Wrna Tere Seene se Tera dil Nikal Lete…
Jo Mohabat ke Qabil
Nahi…..!

Toot jaayegi teri zid ki aadat us
waqt…
Jab khabar milegi k tujhko yaad krne
wala ye jahaan chhor gya”

‘समय’ और ‘समझ’ दोनों एक साथ खुश किस्मत लोगों को ही मिलते हैं…!
क्योंकि
अक्सर ‘समय’ पर ‘समझ’ नहीं आती और ‘समझ’ आने पर ‘समय’ निकल जाता है…


बचपन में जब धागों के बीच माचिस फसाकर फोन-फोन खेलते थे,,,
तो मालूम नहीं था एक दिन इस फोन
में जिन्दगी सिमटती चली जायेगी..!

तुझपे खर्च करने के लिए बहुत कुछ नहीं है मेरे पास…
थोड़ा वक़्त हैं ..…
थोड़ा मैं हूँ..


एहसान किसी का वो रखते नही …..
मेरा भी लौटा दिया ….
जितना खाया था नमक मेरे जख्मों
पर लगा दिया.


“I LOVE YOU” बोलने में बस दो सेकंड लगते हैं,
पर समझने समझाने में महीनों लग जाते हैं,
पर इसको साबित करने में पूरी उम्र गुज़र जाती है।

इजहार..
इंतज़ार..
इबादत..
याद..
दर्द..
इनकी गोद से क्या निकले
यतीम हो गये….!!!

Roj Ro Ro Kar Mai Jeeta To Jeeta Kaise,
Isliye Mai Muskura Kar Roj Marta Hu !!


Kya Rog De Gai Hai Ye Naye Mosam Ki Barish,
Mujhe Yaad Aa Rahe Hain Mujhe Bhool Jane Wale…


काश ! कुछ न कहते हुए भी हाल-ऐ-दिल बयां हो जाए,
बस एक शाम हमारी खामोशी के नाम हो जाए……

अपने अंदर ही सिमट जाऊँ तो ठीक ,
मैं हर इक रिश्ते से कट जाऊँ तो ठीक…
थोड़ा थोड़ा चाहते हैं सब मुझे,
मैं कई टुकड़ॊं में बँट जाऊं तो ठीक…


इश्क के नाम से अब डर लगता है,
के दिल अब और दर्द सहन ना कर पायेगा..!!

जो छलक न पाए ‘आँसू’ … उन्हें ‘बेबसी’ समझना …
जो छलक जाए, उन्हें मेरी ‘बेसब्री’ समझना ।।