*यहां लोग अपनी गलती नहीं मानते* *किसी को अपना कैसे मानेंगे…
आप कब सही थे। इसे कोई याद नही रखता। लेकिन आप कब गलत थे इसे सब याद रखते है।…
किसी को क्या बताये की कितने मजबूर है हम.. चाहा था सिर्फ एक तुमको और अब तुम से ही दूर Continue Reading..
“झुठ बोलकर तो मैं भी दरिया पार कर जाता, मगर डूबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने…””
पर्दा गिरते ही खत्म हो जाते हैं तमाशे सारे …. खूब रोते हैं फिर औरों को हँसाने वाले..
नाराजगी चाहे कितनी भी क्यो न हो तुमसे तुम्हें छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नही रखते_!!!
-Unse Kehdo Hamarii Sazza Kuch Kam Kardey, Hum Mujrim Nahii Bas Galti Se Ishq Hua Haii .. ‘
Dil bhi gustakh ho chala tha mera.. Shukar he aap be wafaa niklay..
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ , और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा
Muje hindime likhnaa hae
Hello
Nice
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