जनता जिसे चुनती है वो ‘ संसद ‘ में बैठते है
और
भगवान जिसे चुनते है वो ” सत्संग ” मे बैठते है।

हमें तो ना जनता ने चुना है ना भगवान ने,
सो
WhatsApp/Telegram पे ही बैठे है ।


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