मैं जब भी मित्रो को ऑनलाइन देखता हूं…
दिल में बहुत सकून होता है…
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कि
मैं अकेला ही निकम्मा नहीं बैठा हूँ..
“काम धंधा” इनके पास भी नहीं है.
मैं जब भी मित्रो को ऑनलाइन देखता हूं…
दिल में बहुत सकून होता है…
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कि
मैं अकेला ही निकम्मा नहीं बैठा हूँ..
“काम धंधा” इनके पास भी नहीं है.
Bilkul sahi hai