चलिये अब एक कथा सुनिये !
एक थे बाबा और बाबा के थे दो चेले !
रात को आराम करते बाबा तो मूर्ख चेले उनके पाँव दबाने के लिये आपस मे झगड़ते ! शोर शराबा होता ! मारपीट की नौबत आ जाती ! रोज का क़िस्सा ! बाबा ने हैरान होकर एक रास्ता निकाला ! दोनों चेलों को अपने एक एक पाँव दबाने की ज़िम्मेदारी सौंपी ! दाँया तेरा और बाँया तेरा !
चेले खुश हुये ! अपनी चतुराई पर प्रसन्न बाबा भाँग का डोज़ लेकर खर्राटो के हवाले हुये ! चेले जुटे अपने अपने हिस्से के पाँव की सेवा मे ! नींद की बात ! बाबा का दाँया पाँव बाँये पर चढ़ बैठा ! यह देख बाँये पैर की ज़िम्मेदारी लिये बैठे चेले की त्यौरियाँ चढ़ी ! दिया एक लट्ठ बाबा के दाँये पैर पर ! यह बात दाँये पैर वाले चेले को बर्दाश्त नही हुई ! उसने बाबा के बाँये पैर पर लट्ठ बजाया ! बाबा चीखे चिल्लाये पर चेले अपने अपने हिस्से के पाँव की रक्षा मे सन्निद्घ थे ! लट्ठ बजते रहे और बाबा दिव्यांगता को प्राप्त हुये !
कथा का उपसंहार ! मूर्ख चेले बाबा की जमीन जायजाद बिकवाये बिना मानेंगे नही !


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