मोदीजी दावोस गए|
वहाँ उन्हे अपनी बात रखने का मौका मिला|
भाषण के क्रम में उनके मुँह से भूलवश सवा सौ करोड़ जनता की जगह 600 करोड़ जनता निकल गया|
कुछ लोग 600 करोड़ वाली बात पर ताली पीट रहे है|
अगर 600 करोड़ न बोला होता तो दूसरी बात पर उछलते|
हिंदी में भाषण दिया उससे भी परेशानी है|
कह रहे वोटरों को लुभाने के लिए वो हिंदी में बोले|
यही अंग्रेजी में स्पीच दी होती तो कहते विदेश जाकर विदेशी बोली बोल रहे है|
लब्बोलुआब यह है कि मोदीजी को वहाँ मिलने वाली इज्जत अफजाई अच्छे अच्छो को न पच रही है|
कमबख्त दस्त के मारे औंधे पड़े हुए है|
प्यारे नफरतगर्दों,
सूजी है क्या?


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