Girlfriend- मेरे पापा मुझे दिन भर डांटते रहते हैं
Boy friend – कोई बात नहीं यार..पापा हैं वो तेरे…
Girlfriend – पर दिन भर क्यों डांटते रहते हैं..चुप ही नहीं होते..
Boy Friend- डार्लिंग, पापा हैं वो तेरे
Girlfriend- पर बिना वजह क्यों डाँटते हैं?
Boy Friend- अरे यार..जाने भी दे..पापा हैं वो तेरे
Girlfriend- तुम भी उनका ही favour लोगे..मेरी तो कोई वैल्यू ही नहीं तुम्हारे लिए
Boy Friend- तो क्या टाँगे तोड़ दूँ हरामज़ादे की…कुत्ते को पटक पटक के सारी अकड़ झाड़ दूँगा … मिलने दे उसकी तो …. साला कबूतर बहुत उछल रहा है…….
Girlfriend- गाली मत दो …..पापा हैं वो मेरे..
Boy Friend- चुड़ैल कहीं की, मैं भी तो एक घंटे से यही कह रहा था कि – पापा हैं वो तेरे
Dilruba साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएंगे ज़रूर,
प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे ज़रूर,
कितने भी काँटे क्यों ना हों राहों में,
आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएंगे ज़रूर.
Teacher – agar tum apne dost ko 500 rupe do,
aur use 300 ki jarurat ho to tumhe kitne paise wapis dega
Student – ek bhi nahi
Teacher – tum hisaab nahi jante
Student – sir aap un kamino ko nahi jante.
धयान से पढ़ना आँखों में पानी आ जाएगा.
बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ..
इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया
मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा …
जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है …..
आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था …. जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे …
मुझे पता है इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी ….
पता तो चले कितना माल छुपाया है …..
माँ से भी …
इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को..
जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है ….
मैंने जूता निकाल कर देखा …..
मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था …
जूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था ..
और मुझे जाना ही था घर छोड़कर …
जैसे ही कुछ दूर चला ….
मुझे पांवो में गिला गिला लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था ….
पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा था …..
जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी …..
मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये ….
मैंने पर्स खोला, एक पर्ची दिखाई दी, लिखा था..
लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिए
पर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ?
दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा, उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे का लिखा था
उन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते पहनना ……
ओह….अच्छे जुते पहनना ???
पर उनके जुते तो ………..!!!!
माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो …
और वे हर बार कहते “अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे ..”
मैं अब समझा कितने चलेंगे
……तीसरी पर्ची ……….
पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये …
पढ़ते ही दिमाग घूम गया…..
पापा का स्कूटर ………….
ओह्ह्ह्ह
मैं घर की और भागा……..
अब पांवो में वो कील नही चुभ रही थी ….
मैं घर पहुंचा …..
न पापा थे न स्कूटर …………..
ओह्ह्ह नही
मैं समझ गया कहाँ गए ….
मैं दौड़ा …..
और
एजेंसी पर पहुंचा……
पापा वहीँ थे ……………
मैंने उनको गले से लगा लिया, और आंसुओ से उनका कन्धा भिगो दिया ..
…..नहीं…पापा नहीं…….. मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल…
बस आप नए जुते ले लो और मुझे अब बड़ा आदमी बनना है..
वो भी आपके तरीके से …।।

“माँ” एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है…
और
“पापा” एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है…
Always Love Your Parents
खुशी उनको नहीं मिलती जो अपनी शर्तों पे जिंदगी जिया करते हैं
बल्कि असली खुशी तो उनको मिलती है जो दुसरों की खुशी के लिए अपनी शर्तों को बदल दिया करते हैं…!!