एक बहुत बड़ा सरोवर था। उसके तट पर मोर
रहता था, और वहीं पास एक
मोरनी भी रहती थी। एक दिन मोर
ने मोरनी से प्रस्ताव रखा कि- “हम
तुम विवाह कर लें,
तो कैसा अच्छा रहे?”
मोरनी ने पूछा- “तुम्हारे मित्र
कितने है ?”
मोर ने कहा उसका कोई मित्र
नहीं है।
तो मोरनी ने विवाह से इनकार कर
दिया।
मोर सोचने लगा सुखपूर्वक रहने के
लिए मित्र बनाना भी आवश्यक है।
उसने एक सिंह से.., एक कछुए से.., और
सिंह के लिए शिकार का पता लगाने
वाली टिटहरी से.., दोस्ती कर लीं।
जब उसने यह समाचार
मोरनी को सुनाया, तो वह तुरंत
विवाह के लिए तैयार हो गई। पेड़ पर
घोंसला बनाया और उसमें अंडे दिए, और
भी कितने ही पक्षी उस पेड़ पर रहते
थे।
एक दिन शिकारी आए। दिन भर
कहीं शिकार न मिला तो वे उसी पेड़
की छाया में ठहर गए और सोचने लगे,
पेड़ पर चढ़कर अंडे- बच्चों से भूख बुझाई
जाए।
मोर दंपत्ति को भारी चिंता हुई,
मोर मित्रों के पास सहायता के लिए
दौड़ा। बस फिर क्या था..,
टिटहरी ने जोर- जोर से
चिल्लाना शुरू किया। सिंह समझ गया,
कोई शिकार है। वह उसी पेड़ के नीचे
चला.., जहाँ शिकारी बैठे थे। इतने में
कछुआ भी पानी से निकलकर बाहर आ
गया।
सिंह से डरकर भागते हुए
शिकारियों ने कछुए को ले चलने
की बात सोची। जैसे ही हाथ
बढ़ाया कछुआ पानी में खिसक गया।
शिकारियों के पैर दलदल में फँस गए।
इतने में सिंह आ पहुँचा और उन्हें ठिकाने
लगा दिया।
मोरनी ने कहा- “मैंने विवाह से पूर्व
मित्रों की संख्या पूछी थी, सो बात
काम की निकली न, यदि मित्र न
होते, तो आज हम सबकी खैर न थी।”
मित्रता सभी रिश्तों में
अनोखा और आदर्श रिश्ता होता है।
और मित्र
किसी भी व्यक्ति की अनमोल
पूँजी होते है।
अगर गिलास दुध से भरा हुआ है तो आप उसमे और दुध
नहीं डाल
सकते । लेकिन आप उसमे शक्कर डाले । शक्कर अपनी जगह
बना लेती है और अपना होने का अहसास दिलाती है।
जीवन में किसी के दोस्त बनो तो शक्कर की तरह बनों।
राधे राधे।


Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *