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भूंडू के भीरे कै लट्ठ लाग्गे आज … 😝😝😝
एक टैंट आली दकान पै लिख राख्या था …. यंहा ब्याह शादी का सब सामान मिलता है ,
जाकै बोल्या हां जी सेठ जी एक बढ़िया सी छोरी दिखाओ ब्याह खात्तर …
टैंट आली दरी मैं लपेट कै कुट्या मेरा साला … 😜😜
पाँच मिन्ट पाच्छै चूचे की ढाल दरी मैं तै गरदन बाहर लिकाड़ कै बोल्या … हां बइ फीजिकल फैल होया मेरा अक पास …
फेर दुबारा फीजिकल टैस्ट शुरु कर दिया … उसके सुसराड़ आल्यां नै

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न्यू कवैं मां बाप की इज्जत करो … औरतां की इज्जत करो … बढे बुड्ढयां की इज्जत करो … छोरियां की इज्जत करो …

अरै सबकी इज्जत करो तो … वा के कए करैं सुसरी बेज्जती किसकी करैं , हमनै तो रोटी बी ना बढिया लागती जब तक दन मैं दो चार की नासां मैं तै धुम्मा ना लिकाड़ दैं उनकी बेज्जती करकै …

यार हरीयाणवी सां हम …

एक हल है या किसे नै ना कही अक छोट्टेयां की इज्जत करो … इब कल तै जड़ै बी कोई छोट्टा दिख्खै उसकी गुद्दी पै बेमतलब रैप्टा मार द्यो … 😂😂

मजाक था भाई आग्गै थारी मरजी .

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happy – किमे ऐसी बात बता मेरी setting मन्ने छोड़ कै नही जावै….
.
मैं (surbhi)- उसपै रपिए उधारे लेले

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एक हरियाणा आले आदमी की कार के पीछे लिखी सुंदर लाइन 🚘
.
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देख के ओवरटेक करें
गाड़ी म लठ भी धरें हैं

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जै कोय होक्का भर कै नु कह सै नै अक,
.
ले प्रधान..होक्का पी
तो राम की सूं कती ,
राष्ट्रपति आली फिलींग आण लाग ज्या
सैं भीतर त।

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आजकाल छोरी उस छोरे नै
‘हाय जानू,
हाय बेबी,
हाय हैडंसम’
कह कै बोलैै हैं
जिसनै हाम कदे लंडर कह कै बोल्या करते

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दिल्ली मैं कुछ पटाखा समर्थक स्वंयसेवक संघों नै सुप्रीम कोर्ट की रोक का एक तोड़ काड्या है …
उन्होनै फैसला करया है अक दिवाली के दिन सारे दिल्ली ऐन सी आर आल्यां तै पेट भर कै मूली के परांठे तीन तीन गलास लास्सी अर चार चार हाजमोला की गोली फरी दी जावैगी …
आजो कोर्ट साब रोक ल्यो धमाके अर कर ल्यो पोल्युशन कंट्रोल …

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जाट…… दिल्ली चला गया
रेलवे स्टेशन पै अखबार वाले से bola
एक अखबार देना…
.
.
अखबार वाला-हिन्दी या अंग्रेजी ka
.
.जाट ….. भाई कोईसा दे दे
मने तो रोटी लपेटनी है|

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एक बै एक चौधरी साहब की लाटरी लाग गी, अर लाटरी भी थोड़ी नहीं, पूरे 50 करोड़ की लागी। पूरे गोहान्ड मै रुक्का पङग्या अर मीडिया आले चौधरी कै पाच्छै पाच्छै चक्कर काटैं। एक मीडिया आला चौधरी कै मुह आगै माईक लगा कै बोल्या :-

चौधरी साहब। आप नै के बेरा लाग्या के इस नम्बर पै ऐ लाटरी लागै गी?

चौधरी :- जब मैं पहली रात नै सोया तो मन्नै सूपने मैं 16 दिख्या।। अर दूसरी रात नै सोया तो सूपने मै 2 दिख्या।। मन्नै 16 अर 2 की गुणा करकै 8 नम्बर पै लाटरी लगा दी।।

मीडिया आला ( अचम्भे मै ) :- रै चौधरी साहब। यो के कर्या आप नै। 16 अर 2 की गुणा तो 32 होव सै।।

चौधरी साहब :- रै बावलीबूच। तेरै हिसाब तै चालदा तो लाग ली थी लाटरी।।

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छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार
था,,
एक नाई, एक खाती, एक काला लुहार
था….
छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बङा दिलदार
था,,
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार
था..।।
.
कितै भी रोटी खा लेतै, हर घर मे भोजऩ
तैयार
था,,,
बिटोङे पे घिया तौरी हो जाती,,
जिसके आगे शाही पनीर बेकार था..
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार
था।।।
.
दो मिऩट की मैगी ना, झटपट दलिया
तैयार
था,,,
नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार
था…
अपणा घङवा कस कै बजा लेते, लख्मी पुरा
संगीतकार था,,,
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार
था।।।
मुल्तानी माटी ते जोहड़ में नहा लेते,
साबुन अर
स्विमिंग पूल बेकार था,,,
अर फेर कबड्डी खेल लेते, कुन्सा म्हारे
क्रिकेट का
खुमार था,,,
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार
था।।।
बुढ़या की बात सुन लेते, कुन्सा टेलीविज़न
अर
अखबार था,,,
भाई नै भाई देख कै राज़ी था, सबमै घणा
प्यार
था,,,
छोटा सा गाम मेरा पुरा बिग् बाजार
था।।।
वो प्यार, वो संस्कृति मैं इब कड़े तै ल्याऊं,
या सोच सोच कै मैं घणाए दुखी पाऊं।
जै वोए टैम फेर आज्या, तो घणाए मजा
आज्या,,,
मैं अपनी असली जिन्दगी जी पाऊं, अर मैं
इस
धरती पै सो सो शीश झुकाऊं।

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आज ताऊ जी गाम तै शहर आरे थे किसी काम तै , साथ मैं उनके तीन दोस्त और थे … काम निम्टा कै म्हारे तै मिलण आगे पापा घर ना थे मन्नैं इज्जत सत्कार तै बैठक मैं बिठाए …

थोड़ी हाण मैं माँ की अवाज आई रसोई मैं तै :- आइए बेट्टा …

मैं गया … माँ बोली :- रुह अफजा बणाई है , या जग अर एक गलास लेजा …

एक गलास … मैं थोड़ा हैरान हो कै बोल्या … चार गलासां मैं घाल दे ना माँ ट्रे मैं रखकै ले जांउगा …

ले कै जा … माँ नैं घुड़की मारी

बुरा सा मुंह बणाकै जग अर गलास ले कै गया …
ताऊ जी के जो दोस्त पहल्ड़े कान्नी बैठे थे … उन्तै गलास मैं घाल कै दिया रुह अफजा … पीकै उन्होनै फेर गलास आगै कर दिया … फेर एक … फेर एक

पूरा जग निम्टा दिया …

मैं रसोई मैं जाकै माँ तै बोल्या :- माँ या सारा जग तो एक ताऊ जी पी गए …

माँ मुस्करा कै बोली :- मन्नै पता था … बेट्टा गाम आले जब मेहनत करदे हाण नां शर्मांदे तो खाण पीण मैं बी वे गिण्ती ना करया करदे … मैं बी गाम की हूं … तेरे मामा हर कदे आवैंगे तो देखिए वे इनके बी ताऊ हैं … या दूसरा जग ले जा जब तक मैं तीसरा जग तयार करुं …

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ब्रेकिंग न्यूज ::- आज शहर में एक दिल दहला देने वाली हृदय विदारक घटना घटित हुई …

कुछ व्यापारी एक जाने माने होटल में एक दोस्त के जन्म दिन की पार्टी में पीते हुए नाच कूद रहे थे …

तभी कोई आसामाजिक शरारती तत्व जोर से चिल्लाया …. मितरोंooo

ये सुनते ही दो व्यापारियों के हाथ से शराब का गिलास छूट गया एक व्यापारी को हार्ट अटैक आते आते बचा … फिर सब व्यापारी मुह लटका के बैठ गए … 😏😏😏

बस रै मितरों मैए … अर जे आग्गै भाइयोरबैनोंooo बी बोल देंदा तो के बन्दा थारा

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पूनम : कोई आवाज दे है बाहर गेट पै , देखियो ।
अनिल : कौण है ?
पूनम : मैं ना पिछाणती
अनिल : अच्छा , रुकण की कह , मैं आऊं हुँ बाहर नै ।
एक तै इस घर मैं कुछ मिलता नी बख्त पै , मेरी घड़ी कित गई इब ?
किसे काम की नहीं या लुगाई , कोय चीज ठिकाणे पै नी पाती , बेरा ना के करती रह है सारे दिन बैठ्ठी बैठ्ठी ।
किस्मत फूट गी मेरी जो या पल्लै पड़ी ।
पूनम : तू पहल्या कोस ले अपणी किस्मत नै जी भर कै, तन्नै तो ज्युकर जीवन सफल कर दिया मेरा , तन्नै पा कै तो सारी इच्छा पूरी होगी मेरी ।
मौका मिलते ए जहर काढण लाग ज्या अपणा , कदे मिठास भी आया है इस जबान पै मेरे नाम का ??
इतणे मैं दुबारा किवाड़ खुड़कै है …..
अनिल : आऊं हूँ , आऊं हूँ , शांति राख ।
“नारंगी पीला सूट पहरे एक सुथरा सा चेहरा, जमीन मैं नजर ग़ाड्डे खड़ा था ।
ज्युकर कुछ छिन ग्या हो उसका”
अनिल : जी बोलो ,
पिछाणे नी आप !!
“उसकी आंख ईब भी जमीन पै थी, ज्युकर कुछ
उकेरणा चाहती हो, उस संगमरमर के धोले फर्श पै ।”
ब्होत हिम्मत जुटा कै वा उप्पर लखाई ।
अनिल : सुमन तू !!
“इस बोल के पाछै जो सन्नाटा ब्यखरा , उसकी चीख मैं , वे सारे ‘घा’ जो भर कै , नई खाल मैं ढल गे थे, एक बार फेर हरे हो गे ।”
” वो घर का गेट एक सीमा रेखा मैं बदलग्या ।”
“एक पासै रिवाजां की रस्सी तै गांठ मार कै गला घोंटी होई गृहस्थी थी और दूसरे पासै बख्त अर झूठे अहंकार की मार खाया होया प्यार।”
“बसी होई गृहस्थी मैं अलगाव का विलाप था अर उजड़े होए , दीमक के खाए होए प्यार मैं सुकून।”
“करुणा तै एक जीसी थी दोनूं पासै , बस बख्त सही ना था।”
“दिल के स्वार्थ नै गृहस्थी के किवाड़ लात मार कै बंद कर दिए थे ।”
अहमद फ़राज़ साहब की ग़ज़ल का यो शेर ब्होत सही लागै है आडै :
” रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ …
तू फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ “

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ताऊ :- बिंदर की ताई उपर आजा घणी सोहणी हवा चालरी है …
ताई :- बिंदर के ताऊ चुप्प चाल्ला सो ज्या मन्नैं बेरा तन्नैं आग लागरी सै … 😩

कवि समेंलण मैं भेजण जोग्गे होरे ये तो

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नाक अर होंठ के बीच की जगाह नै के कए करैं ?
.
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मुच्छां की पार्किंग

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#हरियाणवी हवाई जहाज ✈ मै #सफर करै था….
एयर होस्टस :- #सर क्या लेंगे ?
हरियाणवी :-बुंदी भुजिया mix
एयर #होस्टेस भी #हरियाणवी थी
#कमीण के बीज आड़ै के #जागरण मै आ रया स

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