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ਸਾਡੇ ਗਰੀਬਾਂ ਦਾ ਤਾਂ ਉਦੋਂ ਈ ਮਰਨ ਹੋ ਜਾਂਦਾਂ
ਜਦੋਂ ਉਹ ਗੁੱਡ ਨਾਈਟ 10 ਵਜੇ ਬੋਲ ਦਿੰਦੀ ਆ…
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ਤੇ ਉਹਦਾ……..???
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ਲਾਸਟ ਸੀਨ 2 ਵਜੇ ਦਾ ਹੁੰਦਾ……



ਇੱਕ ਭਾਈ ਬੱਕਰੀਆਂ ਚਰਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ,
ਅੱਗੇ ਈ ਭਾਈ ਧੁੱਪ ਤੇ ਗਰਮੀ ਕਰਕੇ ਪਰਸ਼ਾਨ
ਸੀ …
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ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਉਥੇ ਝੰਡਾ ਅਮਲੀ ਆਉਂਦਾ ਤੇ ਕਹਿੰਦਾ
ਇਹ ਬਕਰੀਆਂ ਕਿਥੇ ਲੈ ਕੇ ਚਲਾ ਓਏ …
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ਭਾਈ ਖਿਝ ਕੇ ਕਹਿੰਦਾ ਇਨਾ ਨੂੰ ਸਕੁਲ਼ੇ ਛੱਡਣ
ਚਲਾਂ ..
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ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਝੰਡਾ ਕਹਿੰਦਾ ਮਾਰਾ ਚੰਡ ਸਾਲੇ
ਦੇ.
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ਬੂੜੇ ਨੂੰ ਫੂਦੁ ਬਨਾਉਨਾ ,
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ਅੱਜ ਤਾਂ ਐਤਬਾਰ ਏ..
ਸੱਕੂਲ ਤੇਰੇ ਪਿਓ ਨੇ ਖੋਲੀਆ ਈ .

मुस्कला एक शायरी याद करी थी छोरी फ़सान ताई। अक “एक पल में जान, जिस्म से कैसे जुदा होती है” या बात मन्ने कही तो अपणि सोड म थी। पर मेरे बाब्बू न बेरा ना क्यूकर सुणगी
फेर बाब्बू न बताई कोहणि मार मार के अक एक पल म जान जिस्म से कैसे जुदा होती है। इतने भूंडे भी कोई मारया करे। …!!

लड़की आज मत डालो!
लड़का क्यों? लड़की कल तुम
डाल के सो गये बहुत दर्द हुआ,
मैं पूरी रात मसलती रही और
पानी भी निकलता रहा मुझे
लगता है ये आई ड्रॉप बेकार है.


*खतरनाक जोक* 🐇
पत्नी को एक थप्पड मारने की सजा 1000 रुपये जज साहब ने सुनाई..😀
तब संता ने जज को पुछा :- “दुसरा एक थप्पड मार दु..??
जज गुस्से से :- क्यो..??
संता :- क्योंकि छुट्टा नहीं है मेरे पास 2000 रुपये का नोट है।

आज बाइक में Petrol डलवाने गया..।
वहाँ देखा कि लोग अपनी बीवी को
पेट्रोल-पंप के बाहर मोटरसाइकिल से
उतार देते हैं….
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मैं सोचने लगा कि ऐसा क्यों..???
😇😇😇
फिर मेरी नज़र, वहाँ लगे Board पे
पड़ी.., और मैं बहुत हंसा….
लिखा था..
“आग लगाने वाली चीज़ें दूर रखें…”


लैंगिक समानता तब मानी जाएगी जब
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.पकड़े जाने पर
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.लड़की भी उतनी ही धुनी जाए
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.जितना कि लड़का


एक ताबुत बनाने वाला ताबुत की डिलेवरी करने जा रहा था कि उसकी गाड़ी खराब हो गई।
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डिलीवरी अर्जेंट थी, तो उसने ताबुत सिर पर उठाया और चलने लगा.
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.रास्ते में एक रिश्वतखोर पुलिसवाले ने लालच में उसे रोक लिया
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.”यह क्या ले जा रहे हो?” पुलिस वाले ने धमकाते हुए पूछा।
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घबरा कर आदमी बोला
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“जहां दफनाया gaya था, वो जगह मुझे पसंद नहीं… अपना ताबुत लेकर नई जगह तलाश रहा हूं.
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पुलिसवाला बेहोश!!! अभी ICU में है…

“कल तो नहाया था” बस इतना ही कह कर अपने मन को तसल्ली देता हूँ

और फिर एक बार बिना नहाए ही अपने मन को ख़ुश कर लेता हूँ

शरीर पर लगी *चोट* तो कुछ दिनो मे ठीक हो जाती है,
लेकिन..
*शब्दो* के घाव कभी नही भरते,

अतः वाद विवाद से बचे और
*मारपीट करके ही मामला सुलझाए।*


ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਦੀ ਗੱਲ …
ਓਨੇ ਕੁ ..??
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ਹੀ ਸਟੇਟਸ ਪਾਓ..
ਕਿ ਤੁਸੀ ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰ ਨਾ ਲੱਗੋ…


इक याद पुरानी आई फिर …

माँ कहती थी रोटी खाले
वरना कउआ ले भागेगा
थोड़ी सी चिड़िया को देना
चीं चीं सुन सुबह जागेगा

इक रोटी आज बची थाली की
छत पे सुबह फैंकी थी
अब रात को आके देखा तो
वैसी की वैसी रखी थी

कहां गया वो काला कउआ
कहां गई वो चिड़िया रानी
मिल के दोनों खिचड़ी बनांए
मैं जब सुनता था ये कहानी

तब वो मुझको दिखते थे
आता था मजा कहानी का
ये बात है बिल्कुल सच्ची
कहना होता था नानी का

अब कैसे अपने बच्चों को
वो फिर से कहानी सुनाऊं मैं
उनको दिखलाने आज कहां से
चिड़िया कउआ लांऊ मैं

फिर सुबह कान लगाए थे
चिड़िया की चीं चीं सुनने को
फिर कउआ कहीं से आएगा
मेरी रोटी ले जाएगा

ना चिड़िया है ना कउआ है
जाने वो कहां गए हैं फिर
फिर चिड़िया कउआ याद आए

इक याद पुरानी आई फिर …।।।

Parveen Sharma