हरयाणे का एक गिट्ठा सा छोरा दिल्ली बस मैं जा था भीड़ घणी थी खड़े नै धक्के लागैं थे उपर सहारे आले डंडे तंइ उसका हाथ ना पौंच्या … एक लाम्बा सा माणस खड़या था उसकी दाड्ढी पकड़ कै खड़या हो ग्या अराम तै …
उस बंदे नै सोच्ची गल्ती तै पकड़ रया है बोल्या :- जनाब आप मेरी दाढ़ी पकड़े खड़े हैं इसे छोड़ दीजिए …
म्हारे आला गिठ मुठिया बोल्या :- क्यों उतरणा है के
क्या आप जानते हैं … ?
कई मछलियां अंडे नही बच्चे देती हैं …
हाथी ढलान की तरफ तेज नही दौड़ सकता …
आप अपनी जीभ नीचे के दांतो से टच करके गर्लफ्रैंड नही बोल सकते …
बंदर कभी भी अप ……………. तूं गर्लफ्रैंड बोल ले प्हल्यां मैं तो ज्ञान बाद मैं बी दे ल्यूंगा
एक बार के होया के बुआ और
भतीजी एक गाम मैं
ब्याह दी…..
ओड़े उनके नेग बदलगे…..
भतीजी का घरआला बुआ के
घरआले का काका लागै था!!
एक दिन बुआ का घरआला उस
भतीजी के घर नै गया…….
उसने कुवाड़ खुडकाए!
भीतर तै वा भतीजी बोली कुण सा सै रै!!
तो वो बोल्या: काकी मैं सूँ
तेरा फूफा…!!
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राम राम तडके आळी
मणिशंकर अय्यर बोल्या … मोदी जी की राजनीती नीचता आली है …
मोदी जी नै स्टेज पै रुक्का तार दिया … कांग्रेस आले मन्नै नीच कवैं हैं …
कांग्रेस नै मणिशंकर अय्यर सस्पैंड कर दिया …
ये क्या हो रहा है भाई ये क्या हो रहा है …
सब जनता तै सुतिया बणारे हैं वोट खात्तर …
अर हम इनके खिलाफ कुछ लिख दयां तो थमनै लाग्गै बेरा ना के जुल्म हो गया …