अमिताभ बच्चन :- एक हजार रुपए के लिए पहला सवाल ये रहा आपकी क्म्पयूटर सक्रीन पे …
किस के नालायक बच्चे अपने पिता की कमाई पे ऐश करते हैं … आपके ऑपशन हैं …
A किसान
B मजदूर
C फिल्म कलाकार
D दुकानदार
मैं :- जी मैं लाइफलाइन ल्यूंगा ,
अमिताभ बच्चन :- हाहाहा काटाबेन शांत हो जांए …पहले ही सवाल पे … खैर कौन सी लाइफलाइन लेंगे आप …
मैं :- जी मैं एक नालायक दोस्त तै फोन करणा चाऊं हूं जो बाप की कमाई पै ऐश कर रया है …
अमिताभ बच्चन :- ओह तो आपके दोस्त भी नालायक हैं हा हा हा … कौन हैं आपके वो नालायक दोस्त …
मैं :- सर जी अभिषेक बच्चन तै फोन ला दयो …
अमिताभ :- अरै ठा कै बाहर गेरो इसनै कौणसे नै बुलाया था यो … नातो मैं जा रया हूं …
न्यू कवैं अक वक्त एक बार खुद को दोहराता है …
हे भगवान … इसका मतलब वा फेर आवैगी मेरी जिंदगी मैं …
पिज्जा खुआदे … नंवी मूवी आरी देखण चाल्लै के टिकट के पीसे लेरी मैं … या सूट देखिए किसाक लागै है मेरै मन्नै तो ना जचया
ताऊ आपणे डांगरा नै ले के खेत में तै आण लाग रह्या था अर
इतने में एक मोड्डा आ ग्या अर उस नै देख कै सारे डांगर बिदक
( डर ) गे, ताऊ बोल्या ओ मोड्डे एक ओड़ नै हो ले मेरे डांगर
डर रे हैं तेरे तै ?
मोड्डा बोल्या- अरे बच्चा तुम्हें बोलने की अक्ल नहीं है, हमें
स्वामीजी कह कर बुलाते हैं,
ताऊ कै छोह उठ ग्या अर बोल्या – एक ओड नै मर ले, एक लठ
लाग ग्या तो मोड्डे तै भी जावैगा
म्हारे ताऊ ना देखदे वकत बी मन की आई जब्बे कह दे हैं …
एक ताई मरगी उस्तै शमशान लेजण खात्तर ठाण लाग्गे तो उसकी तीन बहू उस्तै लिपट कै रोरो कै फंड करण लाग्गी … ए मां हमनै बी ले जा तेरी गैल्यां हम बी चालांगी ,
ताऊ पै ना डट्या गया बोल्या :- गैल्यां ले जण नै के उसनै टाटा सूमो कर राक्खी जो थम्नै बी बिठा ले जागी … थम ठाओ रै फेर मन्नै आकै धार बी काडणी है ,
Be practical like ताऊ
दिल्ली मैं कुछ पटाखा समर्थक स्वंयसेवक संघों नै सुप्रीम कोर्ट की रोक का एक तोड़ काड्या है …
उन्होनै फैसला करया है अक दिवाली के दिन सारे दिल्ली ऐन सी आर आल्यां तै पेट भर कै मूली के परांठे तीन तीन गलास लास्सी अर चार चार हाजमोला की गोली फरी दी जावैगी …
आजो कोर्ट साब रोक ल्यो धमाके अर कर ल्यो पोल्युशन कंट्रोल …
एक भइया डाक्टर धौरै जाकै बोल्या ::- एजी डाक्टर जी सुनिए ना … हमको ना बइठे बइठे भी सांस चढ़ जाता है ऐसा काहे … बोलिए ना … डाक्टर जी …
डाक्टर ::- तो सुसरे किसी की गोद मैं धार लेण नै बैठ्या करै … खड़या हो स्यामी मेज पै बैठ
एक नशेड़ी नशे मैं औल फौल बकै था … एक जैंटलमैन सा पैहलवान उसतै आकै बोल्या :- रै तूं घरां जाकै चुप चाल्ला सोजा .. नातै ऐसा रैप्टा मारुंगा गाल का दर्द ना उटै तेरे पै …
नशेड़ी बोल्या … ओ पिलवान जी तूं जाकै सोजा … जे मारे तै मेरे दर्द होंदा तो मैं उस्से दन सुधर जांदा जब मेरे बाब्बू नै मैं नशे मैं देखकै पैहली बार छेतया था …
ब्याह आले घर मैं घणखरे रिस्तेदार रात नै छत पै सोवैं थे … एक दारु पीया छौरा अपने दोस्त गैल्यां एक खाट पै सोवै था … उसके तलब उठ्ठी वा बीडी़ लेण निच्चै गया … पाच्छे तै उसका दोस्त उठया अर मूतन चल्या गया …।
इतनै छौरे की बुआ आई अर खाट खाली देख कै उसपै सौगी … छौरा मांग तांग कै बीड़ी पी कै आया अर अन्धेरे मैं दोस्त समझ कै उसपै जम्प मार दी … बुआ नै उठ कै छौरे का झलूस काढ दिआ …।।
अगली रात फेर वा छौरा न्यूए बीडी़ पी कै आया अर रुक्का दे कै बोल्या …. अपणी अपणी खाट पै हो ल्यो भई सारे … नातै फेर बूआ बरगा मूँ बणाओगे