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Taseer e mohabat kis ko kehte hain..
Tera majboor kar dena mera majboor ho jana



Gham_e_khas perr kabhi chup rhy …
Kabhi rO diy gham_e_aam per …!!!


Ek Baar Dard_e_Dil khatam kar Dey…….
Ay Mohobaat
Halaf dety HAin Dobara Muhabbat Nahi karain Gay,,,
.


यही सोच कर उसकी हर बात को सच मानते थे,
के इतने खुबसूरत होंठ झूठ कैसे बोलेंगे.


तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की.
हम तो बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे

जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे,
और दफनाने वाले भी अपने थे.

अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा …!!
क़े तुम वक़्त गुज़ारो और, हम प्यार समझें,


मुझे मालूम है कि ये ख़्वाब झूठे हैं और ख़्वाहिशे अधूरी हैं …
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ ऐसी ग़लतफ़हमियाँ जरूरी हैं


रखते थे जो मरने कि बात पे मेरे होठों पे उगंलीया
अफसोस वही मेरे कातिल निकले

तु मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है..
”सुकुन” बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर


वक़्त भी लेता है करवटे ना जाने क्या क्या …
उमर इतनी तो नही थी जितने सबक सीख लिये हमने

मेरा कुछ ना ऊखाड सकोगे तुम मुझसे दुश्मनी करके….
मुझे बर्बाद करना चाहते हो तो,मुझसे मोहब्बत कर लो

मुझे मालूम था कि वो रास्ते कभी मेरी मंजिल तक नहीं जाते थे ..
फिर भीमैं चलता रहा क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते थे