जुबां कह न पाई मगर आँखे बोलती ही रही.
कि मुझे सांसो से पहले तेरी जरूरत है.
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जरा तो शर्म करती तू पगली.
मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
‘मयखाने’ लाख बंद कर ले ‘जमाने’ वाले.
‘शहर’ में कम नही ‘नजरो’ से पिलाने वाले.
तेरी जुदाई का शिकवा करूँ
भी तो किससे करूँ।
यहाँ तो हर कोई अब
भी मुझे तेरा समझता हैं…!!
इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग
दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग..
ना जाने क्यों मुझे लोग मतलबी कहते है
एक तेरे सिवा दुनियां से मतलब नहीं मुझे।
आज तो दिल भी धमकियाँ दे रहा है।।
कर याद उसे वरना धड़कना छोड़ दूंगा
बड़ी चालाक होती है जिंदगी हमारी
रोज़ नया कल देकर, उम्र छीनती रहती है
उस शाम तुमने मुड़कर मुझे देखा जब…
यूँ लगा जैसे हर दुआ कुबूल हो गयी
तेरी मुहब्बत की तलब थी तो हाथ फैला दिए वरना,
हम तो अपनी ज़िन्दगी के लिए भी दुआ नहीं करते…
पढ़ रहा हूँ मै इश्क़ की किताब ऐ दोस्तों……
ग़र बन गया वकील तो बेवफाओं की खैर नही – v
Bahut khaas the kabhi nazro mai kisi ke hum bhi,
Magar nazro ke takaze badalne main der kaha lagti hai
Ye To Dil Tha Deewana Jo Tum Par Aa Gaya,
Warna Hum Zindgi Daaw Pe Lagaya Nahi Karte…!
Koi Aasaib Hey Ic Haseen Shehr Pr
Shaam Roshan Hey Leykin Suhani Nahin
Zruri nehi jO shairi kary ussy ishq hO ..
Zindagi wesy hi zakhm be_shumaar deti hai ..!!
Men tanhai kO tanhai men tanha kesy chOr dOn…??
Tanhai ne tanhai men tanha mera sath dia …!!