साजन कोई वकील मुझे ऐसा करा दे,,
जो हारा हुआ प्यार मुझे फिर से जिता दे।।
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तोड़ दिये मैंने घर के सारे ही आईने,
क्यूंकि इश्क में हारे हुए लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीं ।।
वो कागज आज भी फुलो से ज्यादा महकता है दोस्तों
जिस पर उन्होंने मजाक में लिखा था कि हमें तुमसे मोहब्बत है
इत्तेफ़ाक़ से मिल जाते हो जब वो राह में कभी,
यूँ लगता है करीब से ज़िन्दगी जा रही हो जैसे।
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,
कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो। –
पसंन्द आया तो दिल में ,
नही तो दिमाग में भी नही ।
सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें ,
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।
शांखो से टूट जाये वो पत्ते नही हे हम ,
इन आंधीयों से केहदो जरा अपनी औकात में रहे ।
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी
और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ..!!
सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा ,
जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है
सीख रहा हूँ धीरे-धीरे तेरे शहर के रीवाज
.
जिस से मतलब निकल जाये उसे जिंदगी से निकाल दो
तरस जाओगे मेरे लबोँ से सुनने को एक लफ्ज,
प्यार की बात तो दूर, हम शिकायत भी नही करेगे
बस एक चेहरे ने तन्हा कर दिया हमे
वरना हम खुद महफिल हुआ करते थे
उसे तो हमारी महोब्बत ने मशहूर कर दिया
.
बेवफा वरना तू सुर्खियो मेँ रहे तेरी इतनी औकात नही
मत चाहो किसी को इतना टूटकर ज़िन्दगी में,
अगर बिछङ गये तो हर एक अदा तंग करेगी!!
-Tumharii Yeh Aam Sii Baateiin
Mujhey Bohat Khas Lagtii Haii .. ‘