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बहुत दिन हो गए ‘मुहब्बत’ लफ्ज़ सुन सुनकर मुझे….
कल ‘बेवफ़ा’ सुना तो तरी बहुत याद आई मुझे….



ना कर शक मेरी मोहब्बत पर ऐ पगली…. .
अगर सबूत देने पर आया तो तू बदना हो जायेगी…

सिर्फ दिल का हक़दार बनाया था तुम्हें……
हद हो गयी तुमने तो जान भी ले ली..

बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने मुझे,
अब ना किसी को खोने का डर, ना पाने की चाहत।


मैं रोज अपने खून का दिया जलाऊँगा,
ऐ इश्क तू एक बार अपनी मजार तो बता

अपने होंठो को मेरे होंठो से लगा दो,
कोई शिकायत होगी भी तो कह नहीं पाउँगा..!!


मेरा कातिल कहीं मिले तो उसे ये खबर जरुर दे देना,
जिसका तुमने कत्ल किया था वो शक्स आज भी जिन्दा है !!


भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएँगे,
कैसे भरेगी वो जगह जहां तेरी कमी होगी !!

हमदर्दीयों की भीख सी देने लगे हैं लोग ,,
यूँ अपने दिल का हाल ना सबसे कहा करो

इश्क के तोहफे, तुम क्या जानो सनम,
तुमने तो इश्क भी ऐसे किया, जैसे ख़रीदा हो


अगर बेवफाओं की अलग ही दुनिया होती तो,
मेरे वाली…कमीनी…वहाँ की रानी होती


दुनिया में सिर्फ दिल ही है जो बिना आराम किये काम करता है….
इसलिए उसे खुश रखो…..चाहे वो…….. अपना हो या अपनों का…

गरीबों की बस्ती में ज़रा जा कर देखो…
बच्चे भूखे तो मिलेंगे पर उदास नही…!!


जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर
हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता हे

नींद छीन रखी है उसकी यादो ने मेरी,
गिला उसकी दूरी से करूँ या अपनी चाहत से

आज पगली बरसो बाद मिली तो गले लगकर खूब रोइ…..
जानते हो ये वही थी जिसने कहा था तेरे जैसे हजारो मिलेंगे………..