Ek tera noor hi kaafi h..
Sare jhaa ki roshni k liye
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कैसे गुजर रही है सभी पूछते तो हैं,
कैसे गुजारता हूँ कोई पुछता नहीं…
“काश कुछ लोग बेईमान नही होते ,
तो आज इतने लोग परेशान नही होते!”
रात तो क्या पूरी जिन्दगी भी
जाग कर गुजार दूँगा तेरे खातिर ।।।
शाख से फूल तोड़कर मैंने सीखा..
अच्छा होना गुनाह है, इस जहाँ में..!!
हमारी तलाश,
तेरी लाश पे आके खत्म होगी..
Emotional अत्याचार…
Add करने के बाद Unfriend कर देना…
जुबान सुधर जाए तो
जीवन सुधरने में वक़्त नहीं लगता।
इतना खुश रहो के साला गम बी कहे
गलती से मे यहा कहा आ गया।
एम्बुलेंस सा हो गया है ये जिस्म,
सारा दिन घायल दिल को लिये फिरता है।
काग़ज़ पे तो अदालत चलती है..
हमने तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये।
तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे?
दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।
फ़िक्र तो तेरी आज भी है..
बस .. जिक्र का हक नही रहा।
पुराने आशिक वफा तलाश करते थै,
आज के आशिक जगह तलाश करते है..
मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वाले
हम जो जिंदा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं
इतनी शिकायत , इतनी शर्तें , इतनी पाबन्दी,
तुम मोहब्बत कर रहे हो या सौदा कोई !!