भगतो
काल बिजली फ्लाइंग आले आगे घर में
न्यूँ बोले थारे मीटर तो कोनी ????
मेरी माँ बोली म्हारे तो बहू भी कोनी
करवा दयो रिश्ता म्हारे छोरे का अपनी छोरी गेल????
** सारे काकर पाड़ गये बैठ क गाड़ी म **
एक भाई एक तीस मंजिल बिल्डिंग की छत पै बैठ्या था …
जब्बे किसे नै आकै उसतै रुक्का दिया … औ परकासे तेरी बहू तेरे पड़ोसी राजबीर गैल्यां भाजगी …
दिल टूट ग्या माणस का अर घणी बेज्जती बी फील कर ग्या … बस दुख मैं उपर तै छाल मारदी ,
पच्चिसवीं मंजिल धौरै उसके ध्यान आई … अक मेरे पड़ोस मैं तो कोए राजबीर ना रैहता …
बीसवीं मंजिल पै दिमाग मैं आया अक रै मेरा तो ब्याह ए ना हो रया …
दसवीं मंजिल तक याद आया … ओ तेरी बेब्बे कै मेरा नाम तो सरेंदर है … या परकासा कौण है … ???
हट मेरे यार … तो मिसटर सरेंदर आपका समय समाप्त होता है … अब
एक मांगण आले नै घर के दरवाजे पै रुक्का दिआ … अरै भुक्खा हूं भाई कुछ खाण नै दे द्यो …
मैं दरवाजे पै जाकै बोल्या … भाई घर कोए ना है एकला हूं कुछ बणा ना राख्या ,
सुसरा आगे तै बोल्या फेर तो बोतल खोल रया होगा एक पैग ए लवा दे
ट्रेन मैं एक मॉडर्न ख्याल की छोरी मेरे साथ टाइमपास खात्तर बातचीत कररी थी बात बात मैं बोली :- ये जो smoking करते हैं ना , I hate thos kind of men ,
मै बोल्या … सही बात है आपकी ऐसे लोग अपने साथ साथ आसपास वाले लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ करते हैं … और आजकल तो लड़कियां भी सिगरेट शराब पीने लगी हैं पता नही समाज किस ओर जा रहा है …
जब्बे बिफरगी :- how dere you … आप कौन होते हैं औरत की पसंद नापसंद में दख़ल देने वाले , आप जैसे मनुवादियों की सोच ने औरतों को हजारों साल से गुलाम बना के रखा है …
आस पास के लोग मेरे कान्नी न्यु देखण लागगे जणो मन्नै छोरी छेड़ दी
एक चिड़ियाघर में
एक तोते के पिंजरे के बाहर लिखा था
English, हिंदी और Haryanvi बोलने वाला तोता
एक आदमी ने इस बात को टेस्ट करने के लिए तोते से पहले ENGLISH में पूछा —
हू आर यू ?
तोता — आई ऍम पैरेट
आदमी (हिंदी में) — तुम कौन हो?
तोता — मैं एक तोता हूँ
आदमी (इस बार Haryanvi में)– तूं कूण स रै
तोता — मैं तेरा फुफा…
दो बार बता लीया समझ ना आता के…
. भाई तेरे भतिजे नै प्लस टू फ्रस्ट कलास तै पास करली , ईब आगै के कराऊं … ?
… भाई न्यू कर उसतै बी टैक करादे , यां ऐम बी ए करलेगा … दिमाग तो बढ़िया है बेट्टे मैं ,
… फेर भाई ये कोरस करे पाच्छै बढ़िया जॉब पाजागी नै … ?
… ना यार जॉब का चक्कर ना है जिसकी रेहड़ी पै जितनी बड़ी डिग्री टंगी पावैगी उसके पकोड़े उतने जादा बिकैंगे … इब ये मैट़्रिक प्लस टू आल्यां के पकौड़े ना खरिदने का कोई , कम्पिटिसन का जमाना है भाई …
ताऊ आपणे डांगरा नै ले के खेत में तै आण लाग रह्या था अर
इतने में एक मोड्डा आ ग्या अर उस नै देख कै सारे डांगर बिदक
( डर ) गे, ताऊ बोल्या ओ मोड्डे एक ओड़ नै हो ले मेरे डांगर
डर रे हैं तेरे तै ?
मोड्डा बोल्या- अरे बच्चा तुम्हें बोलने की अक्ल नहीं है, हमें
स्वामीजी कह कर बुलाते हैं,
ताऊ कै छोह उठ ग्या अर बोल्या – एक ओड नै मर ले, एक लठ
लाग ग्या तो मोड्डे तै भी जावैगा