गोहत्या पाप है यां नही … गोमांस खाना चाहिए या नहीं …?
है तो जानवर ही … जब दूसरे जानवरों को खा सकते हैं तो गाय क्यों नहीं …??
गाय जानवर है कोई शक नहीं … लेकिन गाय का पाचन तंत्र कैसा है ये समझें , सब प्राणी भोजन के जहरीले तत्वों का विसर्जन मल मुत्र से करते हैं और पौष्टिक तत्वों से उनका शरीर – मांस हड्डीयां खून आदि बनते हैं …।
गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है जो अपने भोजन के पोष्टिक तत्वों को मल मूत्र में विसर्जीत करती है … और जहरीले पदार्थों से उसका शरीर बनता है … गाय खाना मना इसीलिए किया जाता है क्योंकी जहरिले पदार्थों से बना इसका मांस भी जहरीला होता है , और इसे यदि कोई इन्सान खाता है तो ये उसके शरीर और बुद्धी के लिए हानिकारक होता है …जबकि गाय का मुत्र और गोबर भी शुद्ध होता … इसे पीपल के वृक्ष के साथ भी जोड़ कर देख सकते हैं , जो दूसरे वृक्षों के विपरीत चौबिसों धन्टे हवा से कार्बनडाइआक्साईड सोख के आक्सिजन छोड़ता है इसलिए पीपल की लकड़ी जलाना वातावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है …।।
पुराने समय में शिक्षा की कमी के कारण सब चीजों को पाप और पुण्य से जोड़ दिया जाता था जो लोगों को जल्दी समझ आता था … लेकिन हिन्दू पुराणों में लिखी हर वो बात जिसे अन्धविश्वाश कहा जाता है सब का वैग्यानिक आधार है … इसलिए गोमांस पे लड़ने मरने की बजाए यदि तथ्यों से समझाया जाए तो मुझे नहीं लगता कोई गोमांस खाएगा … और ये हमारे तथाकथित धर्मरक्षक इस तरह से कभी नहीं समझाएंगे , क्योंकि इस मांस में उनकी रोटियां छिपी हैं …
तो … लड़ते रहो …।।।
क्या आप जानते हैं … ?
कई मछलियां अंडे नही बच्चे देती हैं …
हाथी ढलान की तरफ तेज नही दौड़ सकता …
आप अपनी जीभ नीचे के दांतो से टच करके गर्लफ्रैंड नही बोल सकते …
बंदर कभी भी अप ……………. तूं गर्लफ्रैंड बोल ले प्हल्यां मैं तो ज्ञान बाद मैं बी दे ल्यूंगा
दिल्ली की छोरी हरियाणवी छोरे गैल्यां ब्याह दी …
एक दन ओवर स्मार्ट बण कै पति गैल्यां मजाक कर बैठी … ड्रांइग रूम मैं बैठे तै जाकै बोली … देखिओ बाहर आपका कोई रिश्तेदार खड़ा है … 😗😗
पति नैं बाहर जाकै देख्या एक गधा खड़या था … बोल्या ओहो साले साब आप फोन बी ना करया , सास्सू जी ना आई … 😎😎
तीन दन तक मैडम पति की हर बात के जवाब में मैनी मैनी करदी रई … 😏😏
दिल्ली की लड़कियां कृप्या हरियाणा के लड़कों के गुण दोष जान के ही उनसे शादी करें … और उल्टा मजाक तो कतई ना करें … वरना मैनी मैनी करना पड़ सकता है ..
फेरे होए पाछै दहेज के समान की लिस्ट पढन लागे,
बोला एक संदूक,
एक अलमारी,
एक कुलर,
इतने मे एक निचै बैठा शराबी बोल्या- एक बैंगण भी लिख लें,
वो धमका दिया, तु चुप बैठा रह॥
फेर बोलण लागा- एक डबल बैड,
एक सीसा,
एक सोफा सैट,
वो शराबी फेर बोला- एक बैंगण भी लिख लें,
वो फेर तै धमका दिया।
फेर बोला- एक सिलाई मशीन,
एक कढाई मशीन,
एक वाशिंग मशीन,
शराबी फेर बोल्या- आरै एक बैंगण भी लिख ल्यो,
सारे बुझण लागे -बता बैगण क्यांतै लिख ले?
शराबी- अरै कैल नै छौरी गेल्या रोला होगा तै साले न्यूं ना कह दे के बैंगण ल्याई थी ?
मुस्कला एक शायरी याद करी थी छोरी फ़सान ताई। अक “एक पल में जान, जिस्म से कैसे जुदा होती है” या बात मन्ने कही तो अपणि सोड म थी। पर मेरे बाब्बू न बेरा ना क्यूकर सुणगी
फेर बाब्बू न बताई कोहणि मार मार के अक एक पल म जान जिस्म से कैसे जुदा होती है। इतने भूंडे भी कोई मारया करे। …!!
म्हारी म्हैस नै तीन दन होगे , रोज सांज नै बोलै अक आज रात ब्याउंगी … सारी रात उसके सिराहणे बैठे रवां दो तीन जणे कम्बल सोड़ औढ़ कै … अर तड़की फेर दांदरे काड्ढ कै दिखा दे है … अक इबी मूढ नाहै … 😬😬
हद ऐ यार मतबल … डांगर बी जाड्डे मैं सुआद लेरे हैं …
भोलेनाथ: मांगो वत्स क्या चाहिए?
भक्त : मुझे पत्नी के साथ लड़ने की शक्ति दो। हिम्मत दो। बुद्धि दो प्रभु।
भोलेनाथ: इसको एक तरफ बैठाओ शायद भांग ज्यादा पी गया है
एक बै एक गादडी के पाछे दो कुत्ते लाग रे थे। वा भाज कै एक दूसरे गादड के बिल में बड गई। गादड बडा मसखरा था। वो आपणी बहू तै बोल्या “पुछिये बहू नै क्यूं तंग पा री सै..?”
गादडी बोल्ली “म्हारै छोरी के बटेऊ आरे सै अर आजै ले जाण की जिद कररे सैं।”
गादड छो में भर कै बोल्या “मैं देखूं सूं उन्हें जा कै।”
अकड में गादड ने बिल तै मुंह बाहर काढा तै दोनूं कुत्तां नै उसके दोनूं कान पकड लिये। गादड झटका मार कै उलटा ए बिल में बड ग्या। पर कान कुत्तां के मुंह में ही रह गये। भीतर दूसरी गादडी ने गादड की बहू तै कहा, “पूछिये री मेरे पितसरे के कानां कै के होग्या….?”
गीदड बोल्या “बटेऊ तै घणें ऊंत सैं। वैं छोरी के धोखें में मन्नै ए ट्राली में गेर के ले जावैं थे। बडी मुश्किल तै पिंडा छुड़ा कै आया सूं…!!
छोटे छोटे चैक की लाल बुरशट , डार्क गरे पन्ट , पीटर इंग्लैंड की जर्सी , रेड चीफ के काले जूत्ते , क्लीन शेव , सुथरे पठे बाह क आज घर त लिकड़ा था डयूटी प। पर कोइसी भाईरोई न, ना त देख्या अर ना भाव दिए
फेर मन्ने सोच्या के कमी रह गी र
भीतर त आवाज आई दिल्ली म आ रया स खागड आड़े सकल भी भुंडी होणि चईये