हरयाणे का एक गिट्ठा सा छोरा दिल्ली बस मैं जा था भीड़ घणी थी खड़े नै धक्के लागैं थे उपर सहारे आले डंडे तंइ उसका हाथ ना पौंच्या … एक लाम्बा सा माणस खड़या था उसकी दाड्ढी पकड़ कै खड़या हो ग्या अराम तै …
उस बंदे नै सोच्ची गल्ती तै पकड़ रया है बोल्या :- जनाब आप मेरी दाढ़ी पकड़े खड़े हैं इसे छोड़ दीजिए …
म्हारे आला गिठ मुठिया बोल्या :- क्यों उतरणा है के
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जुल्मी चाचा …
पड़ोस आली भाब्भी की छोटी बेब्बे आरी है … छत्त पै चक्कर मारण लाग ग्या मैं … चाचा बोल्या रै उपर के करण जाए करै …
मखा चाच्चू टाटा स्काई सैट करण जाऊं था …
बोल्या … ड्रैसिंग सैंस सुधार ले कुरते पजामे पै टाई लाए तै टाटा स्काई सैट ना होए करदी …
Me … Crying in a कूण ..
फोन मैं एक वाएरस साफ करण की ऐप थी उसपै दिन मैं दसियां मैसेज आए करते अक फोन हैंग होण तै बचाण तंइ फालतू ऐप डीलीट करो …
मन्नै वा ऐप ए डीलीट मार दी सुसरी … ईब ना हैंग होता फोन
लागै सै राहुल उर्फ पप्पू आलू तह सोना बणाण आली मशीन
आपणे मामा कै तह लेकै आवैगा, जित्या पाछै
जोणसी न्यू कहया करती :-
“तू नी मिल्या जे मर जाऊगी”
उसे कै आज दूसरा छोरा होया है!!
उसका मैसेज आया … मन्नै अपणे दिल पै तेरा नाम लिख लिया … 😗😗😗
पढ़ कै दिल तो जब का डांस रया है … पर दिमाग रुक्के दे रया … रै बावले कदे मस्जिद मैं जै श्री राम लिखया देख्या …
धोखा है या मूरख पराणी धोखा
उपर आला ठाल्ली बेठ्या था एक दन … के करूं … के करूं …
उसके तो सोचने की देर थी ( बइ पावरफुल तो है ) सृष्टी रच दी … गोल गोल गेंद से ग्रह कोई इसके चक्कर काट रया कोए उसके अर जिसके सारे चक्कर काटरे वो बी चक्कर काट रया बेरा ना किसके …
इतना कन्फ्यूजन पर ना कोई लड़ाई ना झगड़ा ना दंगा ना फसाद ना ऐक्सिडैंट … मतलब मजेदार तो था पर कोए थ्रिल ना था … फेर बोरिंग सा माहौल हो ग्या थोड़े दन पाच्छै ( उसका एक दन बी करोड़ों साल का होए करै )
फेर उसनैं एक गेंद ( ग्रह ) चुनी उसपै पेड़ पौधे , जीव जंतू से बणा दिए … फेर कुछ दन जी सा लाग ग्या … पर मजे आली बात ना थी …
फेर उसनै बनाया इंसान …
अर उसके बाद आज तंई ढंग तै वा खुद बी ना सो पाया … जो उसनैं मान्नैं वा चौबिसों घंटे उसतै मांगे …
अर जो ना मानते वो … उसतै चैलेंज करदे रवैं … अक तूं है तो या करकै दिखा वा करकै दिखा …
अर जो बीच आले हैं … वे उसका नाम ले कै सारी दुनियां मैं नफरत फैलावें … देश , धर्म , रंग , नस्ल के नाम पै अर उसके बनाए इंसान तै उसी का नाम ले कै बेकूफ बणारे हैं अपणे सुख की खात्तर …
भाई मान जाओ … दुखी हो लिया वो ईब थारे लच्छना तै … रात बतावै था मेरे तै न्यू कवै था यार ईब तो या खेल खत्म करणा पड़ैगा घणा बेकार हो लिया ..
हरियाणा कै बालक नैट पैक 2G लगवावै,
अर चाहवै यूट्यूब पै सपना कै डांस देखणा
8 दिन हो गए थे लगातार इनबॉक्स में हाय हेल्लो होते। किते ना किते उसका भी जी करे था मेरे त बात करण का अर किते ना किते मैं भी बाट देखू था उसके मैसज का सारी हाण। फेर के था नोम्मा दिन आ गया जुकर त उसका मैसज आया जमा गेला गेल मन्ने रिप्लाई करा मखा के ढंग स। वा भी स्माइली घणी भेजे थी बात कम करे थी। फेर बात इतनी बढ़ गी थी ईब अक भीतरले मैं कुलकली रहण लाग्गी जब तैई बात ना हो ले किसे काम का जी ना करे। फेर एक दिन उसने बुला ऐ लिया तडके तडक मिलण खातर। ईब तडके तडक मीठी मीठी ठण्ड। अर वा मेरे स्यामी। मेरा कसूता जी कर रया अक कोळी भर ल्यू अर जब तैई घाम ना लिकडे छोड्डूए ना। फेर वा न्यू बोल्ली मन्ने तेरे त कुछ कहणा है। मन्ने कान करा उसके होठां कहनी। आवाज आयी
र बेटीचो* के यो काटडू खुला गया सारी धार चूँघ गया। खड़ा हो ले चुतड़ा प घाम आ लिया। बाब्बू न सारे सपने की इसीतीसी करदी।
पत्थर उठा के मारते हैं मेरे ही मुझको …
दीवाना हो गया हूं मैं … देख के तुझको ,
तूं खुद भी खुद के जलवे से अंजान है शायद …
तिरछी नजर से आइने में देख तो खुद को
मुस्कला एक शायरी याद करी थी छोरी फ़सान ताई। अक “एक पल में जान, जिस्म से कैसे जुदा होती है” या बात मन्ने कही तो अपणि सोड म थी। पर मेरे बाब्बू न बेरा ना क्यूकर सुणगी
फेर बाब्बू न बताई कोहणि मार मार के अक एक पल म जान जिस्म से कैसे जुदा होती है। इतने भूंडे भी कोई मारया करे। …!!
सुबह से लेके शाम तक …
शाम से लेके रात तक …
रात से फिर सुबह तक …
सुबह से फिर रात तक
फोन पै मंडया रवै … भाई यां तो तूं कुंवारा है यां तेरी लुगाई गैल्यां ना बणदी .
किसी हरियाणवी तै कदे उल्टा सवाल ना करणा चइए …
मैडिकल स्टोर पै जाकै एक हरियाणवी बोल्या :- भाई मुस्से मारण की दवाई दिए …
स्टोर आला :- घर ले जाओगे … ?
हरियाणवी :- ना गैल ले कै आ रया हूं आढ़िए खुआदे … अर मेरे तंइ चाय बोलदे जाड्डा हो रया है घणा ..
इंटरयू देण गया था इधर उधर के सवाल करकै वा बोल्या :- तो आपकी कोई कमजोरी भी है तो बताओ …
मखा जी मेरै पैग लाग रहा हो अर मेरे को कोए गंवार कैह दे तो मैं उसको साला बावली बूच बोल देता हूं जी …
बोल्या … ओह ये तो तुम सचमुच गंवारो वाली हरकत करते हो ,
मखा ओ साले बावली बूच अपणी लिमट मैं रै लिए …
फेर बेरा ना के होया सालेयां नै मेरा मुंह सूंघ सूंघ छेत्या मैं
बॉलीवुड की फिल्मे ज हरयाणा म बणती तो शायद ये नाम होते-
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शोले – गबर फसग्या रान्डया क।
आँखे – दीद्दे।
आग का गोला – धकड़बोझ।
दबंग – एंड़ी थाणेदार।
गजनी – खपरभरणा।
गुंडे – सत्यानासी।
3 इडियट – तीन बोल्लीतरेड़।
क्वीन – गुलाबो का ब्याह हो ग्या गाह्।
गोलमाल – गदर कुणबा।
चेन्नई एक्सप्रेस – रूँढ़ा मद्रासी।
नमस्ते लन्दन – राण्डे चल्ये इंग्लैंड।
गदर – रोल्ला जाटा का।
महोबत्ते – लफुसड़े प्यार के।
नई पड़ोसन – नीचे राण्डया की दुकान ऊपर जुली का मकान।
कोइसी रहगी हो त बता दीयो।
सिर्फ पिच्छलग्गु बनके विरोध करने वालो एक बार पद्मावत देख के तो आओ …
राजपूती आन बान शान को कैसे खूबसूरती से दिखाया है इसमें