तुम्हारी ज़िद बेमानी है दिल ने हार कब मानी है
कर ही लेगा वश में तुम्हें आदत इसकी पुरानी है.
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हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी;
हर कोई खुश रहे, यह चाहत है मेरी;
भले ही मुझे कोई याद करे या ना करे;
लेकिन हर अपने को याद करना आदत है मेरी!
-Unhe Jhooth Bolney Ki Aadat Thii,
Aur Humeiin Yaqeen Karney Ki .. ‘
-Humko Iss Mohabbat Ke Sirf Do(2) Hii Sabak Yaad Huye
Ek Tum Kaiisey Azaad Huye
Aur
Ek Hum Kaiisey Barbaad Huye .. ‘
लोग तो अपना बना कर छोड देते हैं,
कितनी आसानी से गैरों से रिश्ता जोड लेते हैं
हम एक फूल तक ना तोड सके कभी
कुछ लोग बेरहमी से दिल तोड देते हैं.
~Hum Chah Kar Bhii Pooch Hii Naii Pate Unka Haal,
Darte Haiin Kahiin Yeh Na Kehdy Woh ,
Tumhey Yeh Haq Kisne Diiya .. ?
~Bare Sukoon Se Rukhsat To Kar Dia Us Ko,
Phir Us K Baad, Muhabbat Ne Inteha Kar Di ..^
Wo royea zaroor hoga, Khali kagaz dekh kar,
Zindagi kaisi beet rahi hai,Poocha tha jawab mein..
लड़की : जानू मुझे आज कुछ ऐसा कहो
कि ख़ुशी भी हो और मिर्ची भी लगे
संता : आप मेरी ज़िन्दगी हो
लड़की : और
संता : लानत है ऐसी ज़िन्दगी पर
Without Notice Breakup
एक बार पठान अपनी बेगम के साथ अपने कमरे में लेटा हुआ था। तभी अचानक वह बड़े प्यार से अपनी पत्नी की तरफ देख कर बोला,” क्या हुआ क्या हमारी जान हमसे नाराज़ है?”
बेगम: तौबा-तौबा खां साहब कैसी बात कर रहे हैं?
पठान: नहीं हमको लग रहा है कि आप हमसे नाराज़ हैं।
बेगम: नहीं खां साहाब ऐसी कोई बात नहीं है। मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ।
पठान: फिर आज आप अपना मुंह हमारी तरफ और अपनी डांग दूसरी तरफ कर के क्यों सो रहीं हैं
A Boy Was Trying To Impress A Girl On Facebook
So He Sang …
*चौदवी का चाँद हो … या आफताब हो*
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A Mind blowing Reply …
*आफताब ही हूँ भाई … FAKE ID है*
इंजीनियर्स से अनुरोध है कि कोई ऐसी तकनीक विकसित करें
जिससे TV में हाथ डालकर कुछ नेताओं को झापड़ मारा जा सके..!!
बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। एक शिष्य ने पूछा- “कर्म क्या है?”
बुद्ध ने कहा- “मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।”
एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- “मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।”
यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ। लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता, तब तक राजा आगे बढ़ गया।
अगले दिन, मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में उसकी दुकान पर पहुँचा। उसने दुकानदार से ऐसे ही पूछ लिया कि उसका व्यापार कैसा चल रहा है? दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता था। उसने बहुत दुखी होकर बताया कि मुश्किल से ही उसे कोई ग्राहक मिलता है। लोग उसकी दुकान पर आते हैं, चंदन को सूँघते हैं और चले जाते हैं। वे चंदन कि गुणवत्ता की प्रशंसा भी करते हैं, पर ख़रीदते कुछ नहीं। अब उसकी आशा केवल इस बात पर टिकी है कि राजा जल्दी ही मर जाएगा। उसकी अन्त्येष्टि के लिए बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी खरीदी जाएगी। वह आसपास अकेला चंदन की लकड़ी का दुकानदार था, इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि राजा के मरने पर उसके दिन बदलेंगे।
अब मंत्री की समझ में आ गया कि राजा उसकी दुकान के सामने क्यों रुका था और क्यों दुकानदार को मार डालने की इच्छा व्यक्त की थी। शायद दुकानदार के नकारात्मक विचारों की तरंगों ने राजा पर वैसा प्रभाव डाला था, जिसने उसके बदले में दुकानदार के प्रति अपने अन्दर उसी तरह के नकारात्मक विचारों का अनुभव किया था।
बुद्धिमान मंत्री ने इस विषय पर कुछ क्षण तक विचार किया। फिर उसने अपनी पहचान और पिछले दिन की घटना बताये बिना कुछ चन्दन की लकड़ी ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की। दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने चंदन को अच्छी तरह कागज में लपेटकर मंत्री को दे दिया।
जब मंत्री महल में लौटा तो वह सीधा दरबार में गया जहाँ राजा बैठा हुआ था और सूचना दी कि चंदन की लकड़ी के दुकानदार ने उसे एक भेंट भेजी है। राजा को आश्चर्य हुआ। जब उसने बंडल को खोला तो उसमें सुनहरे रंग के श्रेष्ठ चंदन की लकड़ी और उसकी सुगंध को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। प्रसन्न होकर उसने चंदन के व्यापारी के लिए कुछ सोने के सिक्के भिजवा दिये। राजा को यह सोचकर अपने हृदय में बहुत खेद हुआ कि उसे दुकानदार को मारने का अवांछित विचार आया था।
जब दुकानदार को राजा से सोने के सिक्के प्राप्त हुए, तो वह भी आश्चर्यचकित हो गया। वह राजा के गुण गाने लगा जिसने सोने के सिक्के भेजकर उसे ग़रीबी के अभिशाप से बचा लिया था। कुछ समय बाद उसे अपने उन कलुषित विचारों की याद आयी जो वह राजा के प्रति सोचा करता था। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए ऐसे नकारात्मक विचार करने पर बहुत पश्चात्ताप हुआ।
यदि हम दूसरे व्यक्तियों के प्रति अच्छे और दयालु विचार रखेंगे, तो वे सकारात्मक विचार हमारे पास अनुकूल रूप में ही लौटेंगे। लेकिन यदि हम बुरे विचारों को पालेंगे, तो वे विचार हमारे पास उसी रूप में लौटेंगे।
यह कहानी सुनाकर बुद्ध ने पूछा- “कर्म क्या है?” अनेक शिष्यों ने उत्तर दिया- “हमारे शब्द, हमारे कार्य, हमारी भावनायें, हमारी गतिविधियाँ…”
बुद्ध ने सिर हिलाया और कहा- *”तुम्हारे विचार ही तुम्हारे कर्म हैं।”*
जज: मैडम, सच बताओ, आपके कितने बेटे हैं ?
महिला: सात।
जज: पहले का नाम ?
महिला: राजू।
जज: दूसरा ?
महिला: उसका नाम भी राजू। (कोर्ट में सन्नाटा)
जज: तीसरा ?
महिला: उसका भी राजू। (कोर्ट में हँसी)
जज: चौथा ?
महिला: उसका भी राजू। (सन्नाटा,जज चिढ़ गया)
जज: पाँचवा ?
महिला: उसका भी राजू। (कोर्ट में सब हैरान)
जज: छठवाँ ?
महिला: उसका नाम भी राजू। (गुस्से में जज लाल हो गया)
जज: और सातवाँ ?
महिला: उसका भी राजू।
जज: (गुस्से में) सातों बेटों का एक ही नाम ? ये क्या मजाक है ?
महिला: (शरमाते हुए) नाम एक होते हुए भी उन सभी के सरनेम अलग अलग हैं, साहब !!
जज अभी भी कोमा में है..
टीचर – अगर मैं तुम्हें 2 बिल्ली दूं, फिर 2 बिल्ली दूं और फिर 2 बिल्ली दूं तो, तुम्हारे पास कितनी बिल्लियां हो जाएंगी?
चिंटू – सात (7)
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टीचर – नहीं, मेरा सवाल दोबारा ध्यान से सुनो। अगर मैं तुम्हें 2 बिल्ली दूं, फिर 2 बिल्ली दूं और फिर 2 बिल्ली दूं तो, तुम्हारे पास कितनी बिल्लियां हो जाएंगी?
चिंटू – मास्टर जी… 7
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टीचर – नहीं, मैं तुम्हें अलग तरीके से समझाता हूं। अगर मैं तुम्हें 2 सेब दूं, फिर 2 सेब दूं और फिर 2 सेब दूं तो, तुम्हारे पास कितने सेब हो जाएंगे…?
चिंटू – जी.. 6
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टीचर (खुश होकर) – शाबाश, अब अगर मैं तुम्हें 2 बिल्ली दूं, फिर 2 बिल्ली दूं और फिर 2 बिल्ली दूं तो, तुम्हारे पास कितनी बिल्लियां हो जाएंगी?
चिंटू – कितनी बार बोलूं… 7
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चिंटू को गुस्से से पीटते हुए टीचर बोले- अबे बेवकूफ जब सेब 6 हो रहे हैं तो बिल्ली 7 कैसे हो जाएंगी?
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रोते हुए चिंटू बोला – क्योंकि, मेरे घर पर एक बिल्ली पहले से ही है।
मत दे दुआ किसी को अपनी उमर
लगने की, यहाँ ऐसे भी लोग है जो तेरे
लिए जिन्दा हैं