आँखों के अंदाज़ बदल जाते हैं
जब कभी हम उनके सामने जाते हैं



लोग क़दर तभी करते हैं
जब उन्हें मुँह लगाना छोड़ दो

कट रही है ज़िंदगी रोते हुए,
और वो भी तुम्हारे होते हुए…

ख्वाब मत बना मुझे सच नहीं होते,
साया बना लो मुझे साथ नहीं छोडेंगे..!!


मोहब्बत सिर्फ मोहब्बत चाहती है,
किसीकी महेरबानी नहीं !!

मोहब्बत दो लोगो की….
बातें सौ लोगो की…


एक मशविरा चाहिए,
ख़ुदकुशी करूं या इश्क..


सोचता हूँ बेच डालूं ….
मेरे सब उसूल अब पुराने हो गए हैं !!

हमसफ़र खूबसूरत नहीं..
सच्चा होना चाहिए


सुख मेरा, काँच सा था.. ना जाने कितनों को चुभ गया..!!


कभी तू नाराज़ कभी मैं नाराज़..

उफ्फ ये मोहब्बत उफ्फ ये अंदाज़…😍😘

तन्हाई की सरहदें और भीगी पलके….!!
हम लुट जाते हैं, रोज तुम्हें याद करके….!


त्यौहारों के बहाने ही सही,
रिश्ते तो घर लौट आते है…

लोग आँसुओं मे पढ़ते थे नाम तेरा..
इसीलिए हमने रोना छोड़ दिया.. :)) –

मैं बुरा हूँ तो बुरा ही सही…
….
कम से कम “शराफत” का दिखावा तो नहीं करता