आख़िर क्या कारण था कि मुंबई के ताज होटल पर हुए भीषण हमले में ताज होटल का कोई भी कर्मचारी अपनी ड्यूटी छोड़कर और होटल छोड़कर नहीं भागा ??

26/11 मुंबई अटैक. यानी 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ. तीन हथियारबंद आंतकियों ने मुंबई के ताज होटल समेत कई जगहों पर हमला किया. अब भी होटल ताज की वो दहशत में डूबी तस्वीरें ताजा हैं. मगर 26/11 के दौरान होटल ताज में जो लोग फंसे रहे, वो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक विषय बन गए. इस स्टडी में कई चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने आए हैं.
बुधवार का दिन था. 500 के करीब गेस्ट रुके हुए थे और करीब इतने ही बैंक्वेट हॉल्स में अलग-अलग फक्शन अटैंड कर रहे थे. रात को 9 से 9.30 बजे के बीच अचानक गोलीबारी की आवाज़ें आईं. किसी को पता नहीं चल रहा था कि आखिर ये कैसी आवाज़ है. करीब 600 कर्मचारी भी थे उस वक्त होटल ताज में.

24 साल की बैंक्वेट मैनेजर मल्लिका जगद उस समय गेस्ट को संभाल रहीं थीं.
रिसर्च में सामने आया कि कर्मचारियों में ज्यादातर 25 से 30 साल के थे. उनको पता था कि कौन सा दरवाज़ा कहां है और कहां से खुलता और बंद होता है. साथ ही कैसे बाहर निकला जा सकता है. इंसानी फितरत होती है कि मुश्किल के समय अपनी जान बचाकर भागा जाए. वो कहते भी तो हैं -जान बची तो लाखों पाए. मगर हैरानी की बात ये है कि उस हमले के दौरान होटल ताज का एक भी कर्मचारी भागा नहीं. अंदर फंसे होटल स्टाफ ने मेहमानों को अपनी जान पर खेलते हुए बचाया.

इनमें टेलीफोन ऑपरेटर्स भी शामिल थीं. ये फीमेल स्टाफ ही था जो पहले बाहर निकला और फिर इमरजेंसी की सिचुएशन में वापस अपने वर्क स्टेशन पर आ गया. उन्होंने होटल के हर कमरे में गेस्ट को फोन किया और बताया कि वो अपने-अपने रूम की लाइट बंद कैसे करें. ऑपरेटर्स पूरी रात अंदर ही रहे और लगातार गेस्ट की सेफ्टी के लिए उन्हें जानकारियां देते रहे.

होटल के छठे माले पर शेफ ने गेस्ट को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एक दूसरे के हाथ से हाथ जोड़कर एक ह्यूमन चेन बना ली. गेस्ट को बीच में रखकर सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश की. इतने में दो आतंकवादी सामने आ गए और कई शेफ को मौके पर ही गोली मार दी.

इस पर रिसर्च करते हुए मनोवैज्ञानिक ने तीन नतीजे निकाले-

#1 ताज ग्रुप ने अपने होटल में बड़े शहरों से नहीं बल्कि छोटे कस्बों से लोगों को नौकरी पर रखा था. ये सामने आया कि आज भी छोटी जगहों से आए लोग एक-दूसरे से जुड़ाव महसूस करते हैं.

#2 दूसरा निष्कर्ष ये निकला कि ताज ने किसी भी टॉपर यानी क्लास में सबसे ज्यादा मार्क्स लेने वाले को नौकरी पर नहीं रखा था. एचआर टीम यानी ह्यूमन रिसोर्स ने नौकरी के लिए छांटे गए लोगों के स्कूल टीचर्स से बात की थी और जाना था कि आवेदक अपने पैरेंट्स, टीचर्स और आसपास के लोगों के साथ किस तरह का बर्ताव करता था. यानी एटीट्यूड चेक किया न कि मार्क्स.

#3 तीसरी और आखिरी बात ये निकलकर आई कि ताज ने अपने कर्मचारियों को सिखाया था कि वो ताज ग्रुप के लिए उनके मेहमानों के प्रतिनिधि होंगे, न कि मेहमानों के लिए ताज के प्रतिनिधि. सभी फ्रंट डेस्क कर्मचारियों को गेस्ट की आवाज बनने की ट्रेनिंग दी गई. एक और बात जो इसी से जुड़ी है. ताज में ये कल्चर है कि कोई भी गेस्ट जब किसी कर्मचारी के लिए अच्छा रिमार्क लिखकर जाता है तो मैनेजमेंट उस कर्मचारी को 24 घंटों के भीतर इनाम देता है.

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‘वक्त ‘ बदलने के लिए ‘बुज़दिलों’ की फौज की दरकार नहीं ,
चंद ‘हौसले’ वालों की ‘अंगड़ाई ‘ ही काफी ह

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चुप रहना ही बेहतर है, जमाने के हिसाब से !
धोखा खा जाते है, अक्सर ज्यादा बोलने वाले !!

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Good morning ,good afternoon , good evening, good night
wish karne main Kya raha h.
karo wish to kaho shubhprabhat,
jai shri Krishna

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हा में गरीब हूं
*शुक्र है कि मौत सबको आती है*
*वरना अमीर तो इस बात का भी मजाक उड़ाते*
*कि गरीब था इसलिए मर गया…!!*

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दो बाते आपको अपनो से दुर कर सकती है
एक तो आपका अहम और
दुसरा आपका वहम

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अब राजा का बेटा राजा नही बनेगा
अब गाँधी का बेटा प्रधानमंत्री नही बनेगा
अब खान का बेटा सूपरस्टार नही बनेगा
अब करण जौहर टैलेंट का ठेकेदार नहि बनेगा

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एक ‘अजनबी’ एक आठ साल की बच्ची से स्कूल के बाहर मिला और उससे बोला – “तुम्हारी माँ एक मुसीबत में है इसलिये तुम्हें लाने के लिए मुझे भेजा है, मेरे साथ चलो।” उस बच्ची ने बिना झिझके पूछा – “ठीक है। पासवर्ड क्या है??”
इतना सुनते ही वह आदमी निरुत्तर होकर वहाँ से खिसक लिया!
दरअसल माँ बेटी ने एक पासवर्ड तय किया था जो आपातकाल में माँ के द्वारा भेजे गये व्यक्ति को मालूम होता।
बात छोटी सी है, परन्तु नन्हीं सी सूझ-बूझ बड़ा संकट टाल सकती है।।
अभिभावक, बच्चों को विद्यालयों में ‘मोबाईल’ नहीं दे सकते, मगर ‘पासवर्ड’ तो दे ही सकते हैं।
तो क्या विचार है । आपका

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अपनी कीमत उतनी रखिए,
जो अदा हो सके …
अगर अनमोल हो गए तो,
तन्हा हो जाओगे ….

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एक बहुत बड़ा सरोवर था। उसके तट पर मोर
रहता था, और वहीं पास एक
मोरनी भी रहती थी। एक दिन मोर
ने मोरनी से प्रस्ताव रखा कि- “हम
तुम विवाह कर लें,
तो कैसा अच्छा रहे?”
मोरनी ने पूछा- “तुम्हारे मित्र
कितने है ?”
मोर ने कहा उसका कोई मित्र
नहीं है।
तो मोरनी ने विवाह से इनकार कर
दिया।
मोर सोचने लगा सुखपूर्वक रहने के
लिए मित्र बनाना भी आवश्यक है।
उसने एक सिंह से.., एक कछुए से.., और
सिंह के लिए शिकार का पता लगाने
वाली टिटहरी से.., दोस्ती कर लीं।
जब उसने यह समाचार
मोरनी को सुनाया, तो वह तुरंत
विवाह के लिए तैयार हो गई। पेड़ पर
घोंसला बनाया और उसमें अंडे दिए, और
भी कितने ही पक्षी उस पेड़ पर रहते
थे।
एक दिन शिकारी आए। दिन भर
कहीं शिकार न मिला तो वे उसी पेड़
की छाया में ठहर गए और सोचने लगे,
पेड़ पर चढ़कर अंडे- बच्चों से भूख बुझाई
जाए।
मोर दंपत्ति को भारी चिंता हुई,
मोर मित्रों के पास सहायता के लिए
दौड़ा। बस फिर क्या था..,
टिटहरी ने जोर- जोर से
चिल्लाना शुरू किया। सिंह समझ गया,
कोई शिकार है। वह उसी पेड़ के नीचे
चला.., जहाँ शिकारी बैठे थे। इतने में
कछुआ भी पानी से निकलकर बाहर आ
गया।
सिंह से डरकर भागते हुए
शिकारियों ने कछुए को ले चलने
की बात सोची। जैसे ही हाथ
बढ़ाया कछुआ पानी में खिसक गया।
शिकारियों के पैर दलदल में फँस गए।
इतने में सिंह आ पहुँचा और उन्हें ठिकाने
लगा दिया।
मोरनी ने कहा- “मैंने विवाह से पूर्व
मित्रों की संख्या पूछी थी, सो बात
काम की निकली न, यदि मित्र न
होते, तो आज हम सबकी खैर न थी।”
मित्रता सभी रिश्तों में
अनोखा और आदर्श रिश्ता होता है।
और मित्र
किसी भी व्यक्ति की अनमोल
पूँजी होते है।
अगर गिलास दुध से भरा हुआ है तो आप उसमे और दुध
नहीं डाल
सकते । लेकिन आप उसमे शक्कर डाले । शक्कर अपनी जगह
बना लेती है और अपना होने का अहसास दिलाती है।
जीवन में किसी के दोस्त बनो तो शक्कर की तरह बनों।
राधे राधे।

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समय अच्छा’ हो तो आपकी
गलती भी मजाक लगती है,

और

समय खराब हो तो आपकी मजाक भी गलती बन जाती है !!”

झुको उतना जितना सही हो.
बेवजह झुकना दूसरों के अहम् को बढ़ावा देता है

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एक आदमी ने देखा की एक गरीब बच्चा उस की कीमती कार को निहार रहा है।
उसे रहम आ गया और उसने उस बच्चे को अपनी कार में बैठा लिया।

बच्चा : आपकी कार बहुत महंगी है ना.?

आदमी : हाँ। मेरे बड़े भाई ने मुझे उपहार में दी है।

बच्चा : आपके बड़े भाई कितने अच्छे आदमी हैं।

आदमी: मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो। तुम भी ऐसी कार चाहते हो ना.?

बच्चा: नहीं, मै भी आपके बड़े भाई जैसा बनना चाहता हूँ। मेरे भी छोटे भाई बहन हैं ना..।

Thought of the day:-
“अपनी सोच को हमेशा ऊंचा रखें, दूसरों की अपेक्षाओं से भी कहीं ज्यादा ऊँचा.

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अगर आप कहीं रास्ते में हैं….😃और अचानक से कोई सनसनाता हुआ पानी या रंग की धार आप पर आकर गिरती है…..😂
तो गुस्सा न हों, न उन बच्चों को डांटे…😀
उनको कोसने के बजाए खुद को भाग्यशाली समझें…😎😎कि आपको उन नादान हाथों ने चुना है जो हमारी परम्परा को, संस्कृति को जिन्दा रखे हुए हैं…😄जो उत्सवधर्मी हिन्दोस्तान को और हिंदुस्तान में उत्सव को जिन्दा रखे हुए हैं… 😊ऐसे कम ही नासमझ मिलेंगे..😋वैसे भी बाकि सारे समझदार विडियोगेम, डोरेमोन, और एंड्रॉइड के अंदर घुसे होंगे.. 😏
तो कृपया इन्हें हतोत्साहित न करें…😒बल्कि यदि आप उन्हें छुपा देख लें तो जानबूझ कर वही से निकलें..🤓आपकी 400 Rs की शर्ट जरूर खराब हो सकती 😝पर जब उनकी इस शरारत का जबाब आप मुस्कुराहट से देंगे न..😛 तो उनकी ख़ुशी आपको 4000 की ख़ुशी रिटर्न करेगी…और होली जिन्दा रहेगी,😄 रंग जिन्दा रहेंगे😃हिंदुस्तान में उत्सव जिन्दा रहेगा और हिंदुस्तान जिन्दा रहेगा।।😎😎

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अगर लोग केवल जरुरत पर ही आपको याद करते है
तो बुरा मत मानिये बल्कि गर्व कीजिये क्योंकि
“मोमबत्ती की याद तभी आती है,
जब अंधकार होता है।”

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बुरा वक्त तो सबका आता है,
इसमें कोई बिखर जाता है और कोई निखर जाता है .

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