गलतफहमी में जिंदगी गुजार दी,,
कभी हम नहीं समझे कभी तुम नहीं समझे



स्कूल तो बचपन मैं जाते थे
अब तो बस ज़िन्दगी सिखाती है

इश्क में तेरे मरने का इरादा नहीं…..!
प्यार है तुमसे पर जिन्दगी से ज्यादा नहीं.!! 🙂

अपनी यादों से कहो एक दिन की छुट्टी दे मुझे
इश्क के हिस्से में भी एक इतवार होना चाहिए ।।


उसने कहा की, ख़्वाब में आने का वक़्त दो..
मैंने कहा की, नींद का मौसम गुज़र गया.!

“सूखे हुए दरिया से इक नाव लगी कहने,
अपना भी जाने अब किस बात से रिश्ता है


तू मुझसे मिलने कभी नक़ाबों मे ही आ !
ख़ुद न मुमकिन तो ख़्वाबों मे ही आ !!


अब समझ में आया की इसका क्या मतलब होता है…
कि “जो होता है अच्छे के लिए होता है.

अन्दाज़ कुछ अलग ही मेरे सोचने का है,
मंज़िल का सब को है शौक़, मुझे रास्ते का है….

सारी उम्र मैं जोकर सा बना रहा,
तेरे पीछे जिंदगी सर्कस हो गयी।


गिला बनता ही नहीं बेरुखी का,
दिल ही तो है, भर गया होगा।


mere dushman jal jaatey hai mere shahi andaz se,
kyoki hum dosti bhi karte mohabat ke andaz se.

फिर से बुनने लगे ख्वाब एक नया,
जाने कबतक ये सिलसिला चले इंतजार का


यूं तो लग जाती है बद्दुआ भी किसी की,
वक्त रहते दुआ मांग कर देखिए जरा

दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो…
इन्तजार उसका.. जिसको एहसास तक नहीं.

तूने फैसले ही सारे दूर जाने वाले किये,
नहीं तो बता मेरे से करीब तेरे और कौन था।