एक छोरे नै एक सिगरेट का पैकेट लिआ उसपै लिख राख्या था सिगरेट पीने से कैंसर होता है
वा दुकानदार तै बोल्या … भाई कोई दुसरी चेतावनी आला पैकेट ना है
दुकानदार नै दूसरा दे दिआ उसपै लिख्या था … सिगरेट पीने वाले को नामर्द होने का खतरा रहता है ,
पैकेट उल्टा देकै बोल्या … यार तूं वा कैंसर आला ए पैकेट देदे ..



ताऊ दारू पीकै आवै था आगे तै कुत्ता पड़ ग्या …
ताऊ नैं सैड़ देणी अपणा पजामा पाड़ दिया
मखा ताऊ या के करी
बोल्या उसनै बी तो पाड़नाए था

बैंक खाते आधार तै लिंक करो …
रुक्के देंदा रै गया नरेंद्र मोदी ,
बैंक अफसरां तै लिंक करकै …
पीसे लेकै भाज गया नीरव मोदी ,

मोदी महिमा अपरम्पार …
एक मोदी चौकिदार … दो चोरी करकै फरार ,
ललित , नीरव दोनूं यार …
माल्या का बी बेड़ापार ,
गरिबो क्यां का झगड़ा … क्यां की तकरार ,

अबकी बार बी आण द्यो मोदी सरकार ,
देस मैं ना रैहण देणे ये चोर …
बचे होए बी भजा दयांगे बाहर ..

हज़्ज़ाम: ताऊ, बाल छोटे करने है के…?
ताऊ: बड़े कर सके है के !!


काल पहली बार एक फेसबुक फ्रैंड के साथ डेट पै जांऊ था … दोस्त बोल्या :- कॉन्फिडैंस तै बात करिए छोरी के स्यामी बौखला मत जइए …😊

मखा रै बाप तै मत सिखावै , ऐसी ऐसी छोरियां तो आंगली पै नचा दिया करूं मैं … 😎

10:30 AM Coffee shop …

वा आई अर स्यामी बैठदे ई बोली :- So today is your holiday … 😗

मखा yes yes is is … 😰

थोड़ा मुस्करा कै बोली :- ok what would you have tea , coffee or cold drink … 😗

मैं उखड़ती सांस काब्बू करदा बोल्या :- yes yes … same to you … thankyou … 😰😨

इसकी बेब्बै कै बाथरूम का बहाना करकै भाज आया ओढ़े तै … अपणे बस की ना ये डेट फेट

ट्रेन मैं एक मॉडर्न ख्याल की छोरी मेरे साथ टाइमपास खात्तर बातचीत कररी थी बात बात मैं बोली :- ये जो smoking करते हैं ना , I hate thos kind of men ,

मै बोल्या … सही बात है आपकी ऐसे लोग अपने साथ साथ आसपास वाले लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ करते हैं … और आजकल तो लड़कियां भी सिगरेट शराब पीने लगी हैं पता नही समाज किस ओर जा रहा है …

जब्बे बिफरगी :- how dere you … आप कौन होते हैं औरत की पसंद नापसंद में दख़ल देने वाले , आप जैसे मनुवादियों की सोच ने औरतों को हजारों साल से गुलाम बना के रखा है …

आस पास के लोग मेरे कान्नी न्यु देखण लागगे जणो मन्नै छोरी छेड़ दी


या न्यूज चैनल आल्यां की मानै तो वा कोरिया का कुत्तरु बेरा ना कद दुनिया का खात्मा करदै …

बस एक आखरी अवाज आवैगी …

सूंऊंऊंऊंऊंऊंऊं ठांआंआंआंअअ……. .. . .

हाम तो ज्यांतै तावली तावली पोस्ट गेरां हाँ … रै बैरियो ले ल्यो जी सा … बेरा ना कल हो ना हो .


पूनम : कोई आवाज दे है बाहर गेट पै , देखियो ।
अनिल : कौण है ?
पूनम : मैं ना पिछाणती
अनिल : अच्छा , रुकण की कह , मैं आऊं हुँ बाहर नै ।
एक तै इस घर मैं कुछ मिलता नी बख्त पै , मेरी घड़ी कित गई इब ?
किसे काम की नहीं या लुगाई , कोय चीज ठिकाणे पै नी पाती , बेरा ना के करती रह है सारे दिन बैठ्ठी बैठ्ठी ।
किस्मत फूट गी मेरी जो या पल्लै पड़ी ।
पूनम : तू पहल्या कोस ले अपणी किस्मत नै जी भर कै, तन्नै तो ज्युकर जीवन सफल कर दिया मेरा , तन्नै पा कै तो सारी इच्छा पूरी होगी मेरी ।
मौका मिलते ए जहर काढण लाग ज्या अपणा , कदे मिठास भी आया है इस जबान पै मेरे नाम का ??
इतणे मैं दुबारा किवाड़ खुड़कै है …..
अनिल : आऊं हूँ , आऊं हूँ , शांति राख ।
“नारंगी पीला सूट पहरे एक सुथरा सा चेहरा, जमीन मैं नजर ग़ाड्डे खड़ा था ।
ज्युकर कुछ छिन ग्या हो उसका”
अनिल : जी बोलो ,
पिछाणे नी आप !!
“उसकी आंख ईब भी जमीन पै थी, ज्युकर कुछ
उकेरणा चाहती हो, उस संगमरमर के धोले फर्श पै ।”
ब्होत हिम्मत जुटा कै वा उप्पर लखाई ।
अनिल : सुमन तू !!
“इस बोल के पाछै जो सन्नाटा ब्यखरा , उसकी चीख मैं , वे सारे ‘घा’ जो भर कै , नई खाल मैं ढल गे थे, एक बार फेर हरे हो गे ।”
” वो घर का गेट एक सीमा रेखा मैं बदलग्या ।”
“एक पासै रिवाजां की रस्सी तै गांठ मार कै गला घोंटी होई गृहस्थी थी और दूसरे पासै बख्त अर झूठे अहंकार की मार खाया होया प्यार।”
“बसी होई गृहस्थी मैं अलगाव का विलाप था अर उजड़े होए , दीमक के खाए होए प्यार मैं सुकून।”
“करुणा तै एक जीसी थी दोनूं पासै , बस बख्त सही ना था।”
“दिल के स्वार्थ नै गृहस्थी के किवाड़ लात मार कै बंद कर दिए थे ।”
अहमद फ़राज़ साहब की ग़ज़ल का यो शेर ब्होत सही लागै है आडै :
” रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ …
तू फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ “

एक बरात किराए पै लिए हवाई जाहज मैं मुम्बई जा थी …

एलियनस नै वा जाहज हाईजैक करकै प्लूटो ग्रह पै रख दिया …

जंहा जाड्डे का राज … माइनस साढे चार सौ डिगरी पै राज कर रया … कोए जीव तो के घास बी ना उगण दे था अगला …

औढ़े जहाज तै उतर कै स्लिवलैस सूट पैहरी छोरियां रुक्के देण लाग्गी … कम ऑन गर्लस लैटस डांस .. पर या डी जे कित सै …

जाड्डा बोरिया बिस्तर बांध कै राम जी धौरै चल्या गया बोल्या … प्रभू मेरा इस्तिफा स्वीकार करिए अब मेरे अंदर वो पहले जैसी बात नही रही …

राम जी बोल्ले … भाई तूं ड्युटी कर अपणी … ये छोरी हरियाणे की हैं इनका जाड्डा कुछ ना बिगाड़ सकता ये वरदान मेराए दिया होड़ सै

कहानी घर घर की …
पत्नी :- एजी सुणे है सब्जी के बणांऊ रात खात्तर …
पति :- बणाले यार जो तेरा जी करै ,
… ना थम बताओ ,
… दाल बणाले ,
… दपैहरी बी तो दाल थी
… फेर आलू बैंगण बणाले ,
… बालक ना खाते खुश होकै ,
… राजमा …
… ईब भिगो ना राक्खे घणा टैम लाग जागा ,
… अंडे पड़े होंगे फ्रिज मैं ,
… राम राम वीरवार है आज ,
… होटल तै लिआऊं कुछ ,
… ऐं हैं गंदी संदी सब्जी रांद दें हैं होटल आले तो ,
… तो बणाले नै यार जो तेरा जी करै ,
… ना थम बताओ …


दो बात उनके खिलाफ क्या लिखदी … शपथग्रहण समारोह मैं बी ना बुलाया ,
मैं बी ऐडमिन हूं बिन बुलाए मैं बी ना गया …


कोई भी हरियाणा से बाहर का डाक्टर हरियाणा
में आकर डाक्टर की दुकान नहीं खोल सकता

क्यों? 😉😉

क्योंकि हरियाणा के मरीज की बिमारी हरियाणा के डाक्टर के अलावा कोई समझ ही नहीं सकता

जैसे :-

“भीतरले म धूमा सा उठै है”
“आख्या म त झल सी लकडै हैं”
“गात में उचाटी सी लाग री है।”
“जी कुलमुलावे है।”
“पेट मे धुकड़ धुकड़ हो री है।”
“हाथ झूठे पड़ रे स”
“हरकत हो री स”
“कालजा लकर लकर करे स”
“सिर मै चिड़िया सी बोले सै”
“कड़ मै तरेड़ सी पाटै सै”

एक बार के होया के बुआ और
भतीजी एक गाम मैं
ब्याह दी…..
ओड़े उनके नेग बदलगे…..
भतीजी का घरआला बुआ के
घरआले का काका लागै था!!
एक दिन बुआ का घरआला उस
भतीजी के घर नै गया…….
उसने कुवाड़ खुडकाए!
भीतर तै वा भतीजी बोली कुण सा सै रै!!
तो वो बोल्या: काकी मैं सूँ
तेरा फूफा…!!
😂😂😂😂
.
.
राम राम तडके आळी
🙏😂😂😂😂🙏


एक जाट नै वकालत शुरु कर दी । पहला ही केस जमीन-जायदाद का मिल ग्या ।

कोर्ट में बहस के दौरान सामने वाली पार्टी की तरफ इशारा कर कै बोल्या — जज साहब, इसनै जमीन कोनी मिल सकती, यो तै गैलड़ सै ।

जज साहब की समझ में कुछ नही आया, बोल्या — वकील साहब ये, गैलड़ क्या होता है जरा समझाओ ।

वकील बोल्या — जी समझा तै दूँगा पर आप बुरा मान ज्याओगे ।

जज बोल्या — भाई समझाना तो पड़ेगा, नही तो केस आगे कैसे बढेगा ? जरा विस्तार से समझाओ ।

वकील बोल्या — सुण जज साहब । तेरा बाप मर ज्या अर तेरी माँ मेरे बाप गैल्यां आ-ज्या । फेर पाच्छै-पाच्छै तू भी आ ज्या, तै तू गैलड़ हो-ग्या अर मैं तन्नै चवन्नी भी ना लेवन दूँ आपणे घर तैं । कदे आजमाइश कर-कै देख लिए !!

आज की शोले …

कालिया हरयाणवी होंदा तो … 😎😎

गब्बर :- कितने आदमी थे … टूंऊंऊंऊंऊं ( बैकग्रांऊड सांउड )

कालिया :- सरदार चालिस पचास तो होंगे गिणे ना ,

गब्बर :- ओ बकलोल न्यु कए करैं सरदार दो ,

कालिया :- आहो साले अर फेर तूं हमनै हंसा हंसा कै गोली मार दिए … तेरे फुफ्फे वे गाम आले बी तो थे उन गैल्यां …

थाने का मुन्शी :- भाई एक बात बता , लुगाई तेरे पड़ोसी की खो गई अर रिपोट लिखाण तूं आया , कोए चक्कर है के तेरा उसकी लुगाई के सांथ,
भाई :- कोए चक्कर ना जनाब ! पर मेरे पै साले की खुशी ना देखी जारी , तीन दिन होगे- रोज पार्टी पे पार्टी कर रया है सुसरा.