खोल के बैठा था मैं दूकान इश्क की …
गौर फरमाइएगा ..
खोल के बैठा था मैं दूकान इश्क की ..
आंदी जांदी छोरियां तै आंख मांरू था
पर भाई ये साले दुनिया वाले … रोंडी पिंवैं … मैं छेत गेरया … उन छोरियां तै दिखाण खात्तर ..
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