..जब था तो बहुत पुख्ता था , एक शख़्स से रिश्ता….
….टुटा है , तो अब टुकड़े संभाले नहीं जाते…
अपनों की चाहत मे मिलावट थी इस कदर.
मैं तंग आकर दुश्मनों को मनाने निकल गया..
खुद के खोने का पता ही नहीं चला… ,
किसी को पाने की ‘इन्तहा’ कर दी मैंने….?
तुम्हे क्या पता की किस दर्द में हूँ मैं,
जो कभी लिया ही नहीं उस कर्ज में हूँ मैं
हर रोज़ दरवाज़े के नीचे से सरक जाती है सारे जहान की खबरें…..
एक तेरा ही हाल जानना इतना मुश्किल क्यूँ है…!!
वो आईनें मे देख रहे थे, बहारे हुस्न ॥
आया मेरा ख्याल तो शरमा के रह गये ॥
मैं क्यो #कहुँ की बात करो #मुझसे..
क्या उसे नही #पता कि कोई नही मेंरा #उसके सिवा
सुनो एक फ़िक्र, किसी का #ज़िक्र साथ ले जाऊँगा
थोड़ा #हँसा, तो कुछ पल रुला के चला #जाऊँगा
एक Time था जब रात भर बात करते थे…!!!
😞😞
आज एक दूसरे को Online देख कर भी चुप_चाप बैठे है…!!!*
जब #TRUST टूट जाता है ना तो…!!!
😞😞
#SORRY का भी कोई #मतलब नहीं रहता हैं…!!! **
ये अच्छा है कि अच्छा नहीं हूँ मैं…!!!
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चलो कोई दुखी तो नहीं होगा मेरे मरने पे…!!!
मेरी कहानी तुम सुन सको…!!!
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इतने आँसू कहाँ हैं तुम्हारे पास…!!!
कसूर तो बहुत किए हमने जिंदगी में❣
सजा वहां मिली❣ जहां हम बेकसूर थे
कुछ अज़नबी लोग पहले अपना बनाते है!
फिर अपना बनाकर छोड़ जाते है !
भरोसा तो अपनी साँसों का भी नही है,
और हम इंसानो पर करते है
आज मेरे लफ्जों की तबियत ठीक नहीं..
आज आप अपने पसंद की कोई शायरी ही सुना दो