मुझे नफरत पंसद है मगर, 

दिखावे का प्यार नही!!



मेला लग जायेगा उस दिन शमशान मे, 

जिस दिन मे चला जाँऊगा आसमान मे

काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता, 

बात करना ना सही, देखना तो नसीब होता

कोई वकालत नही जलती जमीन वालो की, 

जब कोई फैसला आसमान से उतरता है


” बुंलदी तक पहुंचना चाहता हूँ मै भी, 

पर गलत राहो से गुजर के जाऊ ”
इतनी भी जल्दी नही !

ये इशक भी क्या चीज है गालिब!
एक वो है जो धोखा दिए जा रहे है और
एक हम है जो मौका दिए जा रहे है


तकदीर मेँ ढूंढ रहा था तस्वीर अपनी,

ही मिली तस्वीर, ओकात मिल गई अपनी


क्या करामात है कुदरत का 

जिन्दा इँसान पानी मे डुब जाता है 

और मुर्दा तैर के दिखाता है

मौत को देखा तो नही पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी,

कम्बख्त जो भी उस्से मिलता है जीना छोड देता है

मौत को देखा तो नही पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी,

कम्बख्त जो भी उस्से मिलता है जीना छोड देता है


खुद को बिखरने मत देना कभी किसी हाल मे, 

लोग गिरे हुए मकान की ईटेँ तक ले जाते है


-Ek Muddat Se Waqt Khamosh Tha Aaj,
Lamhe Fir Yoon Hi Kuch Kehne Lage .. ‘

Ajeeb Andhera Hai “ISHQ” Teri Mehfil Me,
Kisi Ne “DIL” Bhi Jalaya To “ROSHNI” Na Hoi…!!!


Tujhe Pa Naa Sake To Sari Zindagi Tujhe Piyar Karenge,
Yeh Zarori To Nhi Jo Mil Naa Sake Usey Choor Diaa Jaye…!!!

Us Ke Ik Ik Lamhe Ki Hifazat Karna, AY KHUDA
Masoom Saa Chehra Hai Udaas Ho To Achaa Nhi Lagta…!!!