हमने तो एक ही शख्स पर चाहत ख़त्म कर दी ..
अब मोहब्बत किसे कहते है मालूम नहीं..
रोज़ ख्वाबों में जीता हूँ वो ज़िन्दगी …
जो तेरे साथ मैंने हक़ीक़त में सोची थी
अगर मेरी माँ और उसकी होने वाली बहू मेरे साथ है,
तो इस कमबख्त दुनिया की मेरे सामने क्या औकात है
जब जरुरत के समय काम आने वाला पैसा बदल सकता है ….
तो तू क्या चीज है…
जिन्दगी भर कोई साथ नहीं देता यह जान लिया हमने
लोग तो तब याद करते हैं जुब वह खुद अकेले हों
jisko टूट के प्यार किया हो :
उसको भूला पाना इतना आसान नही होता
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको,
हम तो दोस्तो के रूठ जाने से डरते है !
हम सादगी में झुक क्या गए ,
तुमने तो हमे गिरा हुआ ही समझ लिया
मेरी दिल की दिवार पर तस्वीर हो तेरी _
और तेरे हाथों में हो तकदीर मेरी..! –
मेरी कोशिश हमेशा से ही नाकाम रही
पहले तुजे पाने की अब तुजे भुलाने की.
उन्हें देखने सो जो आ जाती है चेहरे पे रौनक,
वो समझते हैं की बीमार का हाल अच्छा है ..
कुछ लफ्ज ढूंढ सिर्फ मेरी खुशियों के लिये
मैं दुनिया खरीद दूंगा तुझे खुश रखने के लिये.
क्या पता था कि महोब्बत हो जायेगी,.?..हमे
हमें तो बस तेरा? मुस्कुराना अच्छा लगा था.
मेरी एक छोटी सी बात मान लो,
लंबा सफर है फकीरा हाथ थाम लो…
कई रिश्तो को परखा तो नतीजा एक ही निकला…,
जरूरत ही सबकुछ है, मुहब्बत कुछ भी नहीं..
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी,
पहले पागल किया, फिर पागल कहा, फिर पागल समझ कर छोड़ दिया.