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ऐ चाँद तू किस मजहब का है
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ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा



होगा तुझे घमंड तेरी बादशाही का,
अरे पगले,
शमशान भरे पडे है तेरे जैसे बादशाहो से . . .

ना जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे मे
तेरे साहमने आने से ज्यादा तुझे
छुपकर देखना अच्छा लगता है

मेरे साथ बिताए लम्हो की याद जरा सम्भाल कर रखना
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क्योकि हम याद तो आएगे मगर लौटकर नही


मेरे साथ बिताए लम्हो की याद जरा सम्भाल कर रखना
.
क्योकि हम याद तो आएगे मगर लौटकर नही

हम ये नही चाहते कि कोई आपके लिए दुआ ना मांगे
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हम तो बस इतना चाहते है कि
कोई दुआ मे आपको ना मांगे


इतनी चाहत से ना देखा कीजिए महफिल मे आप
.
आप के शाहर वालो से दुशमनी बढ जाएगी


ना रईस हूँ ना अमीर हूँ,
ना मै बादशाह ना मै वजीर हूँ,
आप सभी का प्यार है मेरी सल्तनत,
उसी सल्तनत का मै फकीर हूँ . . .

तख्तो-ताज की चिँता तो बादशाहो को होती है
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हम तो अपनी रियासते अपने साथ लेकर घुमते है

इंसान के जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा “दिल” है और अगर
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वोही साफ़ ना हो तो चमकता “चेहरा” किसी काम का नहीं..!!


सुना है प्यार मे लोग अकसर,
अपनी औकात से बडा काम कर जाते है


पत्थर समझ कर हमे मत ठुकराओ
कल हम मंदिर मे भी हो सकते है

वक़्त और हालात के हिसाब से बदल लिया है खुद को,
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वरना
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दुश्मन तो हमारी जूते के निशान देख के खौफ खा जाते है…!!


अब मत करो हमसे तुम मोहब्बत की बातें,
जिन किताबों से, तुमने मोहब्बत सीखी है.
वो लिखी भी हमने ही थी….!!

मुझको खो दोगे तो पछताओगे बहुत …!

ये आखरी गलती तुम बहुत सोच-समझ कर करना …!!

उसे किस्मत समझ कर गले से लगाया था हमने,
पर भूल गए थे हम किस्मत बदलते देर नही लगती