Ek baat aaj tak samajh nahi aayi
ki jisko bhi mobile do
vo sidha gallery mein hi kyun ghusta hai
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Ek baat aaj tak samajh nahi aayi
ki jisko bhi mobile do
vo sidha gallery mein hi kyun ghusta hai
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ek baar santa darwaaza tod kar bazaar mein le ja raha tha
tabhi banta ne pucha :- ye darwazaa kahan le ke jaa rha hai?
santa:- yaar mein is ka taala kulwane ja raha hu.
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हँसो और हँसाओ*
*सिन्धी*: जब तुम्हें गर्मी लगती है तो तुम क्या करते हो?
*मारवाड़ी*: हम कूलर के सामने बैठ जाते हैं।
*सिन्धी*: फ़िर भी अगर गर्मी लगे तो क्या करते हो?
*मारवाड़ी*: फ़िर हम कूलर चालू करते हैं.
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Uska wada bi bada azeeb tha..
Jindgi bhar sath nibhayenge..
Mai ye puchna bhul gaya…
Mohobat ke sath.ya..
yado ke sath…,.
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कैसे भुला देते हैं लोग तेरी खुदाई को, या रब!
मुझसे तो तेरा बनाया हुआ एक शख्स, भुलाया नहीं जाता……..
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भरोसा तो अपनी साँसों का भी नही है,
और हम इंसानो पर करते है
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Woh Jo Lakhon Mein, Ek Hota Hai
Mere Liye, Woh Ek Shakhs Ho Tum.
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लाख समझाया उसको की दुनिया शक करती है..
मगर उसकी आदत नहीं गयी मुस्कुरा कर गुजरने की.!
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कौन कहता है क़ि चाँद तारे तोड़ लाना ज़रूरी है…..
दिल को छू जाए प्यार से दो लफ्ज़, वही काफ़ी है💞
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एक औरत अपने बच्चे को फ्लाइट के टॉयलेट में बैठा कर बोली-
बेटा, तुम करों मैं पाँच मिनिट में आयी
बच्चा एक मिनिट में ही बाहर निकल गया
और दूसरी दिशा में चला गया ।
उसके तुरंत बाद चप्पू टॉयलेट में घूस गया ।
पाँच मिनिट बाद औरत आयी और दरवाजा खटखटाते हुए बोली –
हो गया हो तो धो दूँ
चप्पू- ओ तेरी… इसे कहते है सर्विस
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बीवी से परेशान पति बॉलकनी
से कूदने ही वाला था कि तभी
उसकी बीवी ने अंदरसे आवाज दी…
मेरी सहेलियां आई हैं आओ
आपकी पहचान करा दूं,…..
पति- आंसू पोछते हुए , हाँ-हाँ आया…. आया…. आया
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स्टेट बैंक की कहानी : 😂
जरूरी नहीं, की
पापों के प्रायश्चित के लिए दान पुण्य ही किया जाए।
स्टेट बैंक में खाता
खुलवा कर भी
प्रायश्चित किया जा सकता है..
छोटा मोटा पाप हो, तो
बैलेंस पता करने चले जाएँ।
चार काउन्टर पर धक्के खाने के बात पता चलता है, कि
बैलेंस गुप्ता मैडम बताएंगी।
गुप्ता मैडम का काउन्टर कौनसा है,
ये पता करने के लिए
फिर किसी काउन्टर पर जाना पड़ता है।
लेवल वन कम्प्लीट हुआ। यानी गुप्ता मैडम का
काउन्टर पता चल गया है।
लेकिन अभी थोड़ा वेट करना पड़ेगा, क्योंकि
मैडम अभी सीट पर नहीं हैं।
आधे घंटे बाद चश्मा लगाए,
पल्लू संभालती हुई,
युनिनोर की 2G स्पीड से चलती हुई गुप्ता मैडम
सीट पर विराजमान हो जाती हैं।
आप मैडम को खाता नंबर देकर बैलेंस पूछते हैं।
मैडम
पहले तो
आपको इस तरह घूरती हैं,
जैसे आपने उसकी
बेटी का हाथ मांग लिया हो।
आप भी अपना थोबड़ा ऐसे बना लेते हैं,
जैसे सुनामी में आपका सबकुछ उजड़ गया है,
और आज की तारीख में
आपसे बड़ा लाचार दुखी कोई नहीं है।
गुप्ता मैडम को
आपके थोबड़े पर तरस आ जाता है, और
बैलेंस बताने जैसा भारी काम करने का मन बना लेती हैं।
लेकिन
इतना भारी काम, अकेली अबला कैसे कर सकती है?
तो मैडम सहायता के लिए आवाज लगाती हैं~
“मिश्रा जीsss, ये बैलेंस कैसे पता करते हैं?”
मिश्राजी,
अबला की करुण पुकार सुनकर अपने
ज्ञान का खजाना खोल देते हैं।
“पहले तो खाते के अंदर जाकर क्लोजिंग बैलेंस पर क्लिक करने पर बैलेंस आ जाता था। लेकिन अभी सिस्टम चैंज हो गया है। अभी आप F5 दबाएँ,
और इंटर मार दे तो
बैलेंस दिखा देगा..”
गुप्ता मैडम
चश्मा ठीक करती हैं,
तीन बार मोनिटर की तरफ और तीन बार की-बोर्ड की तरफ
नजर मारती हैं।
फिर उंगलियाँ की-बोर्ड पर
ऐसे फिरातीं है, जैसे कोई तीसरी क्लास का लड़का वर्ल्ड मैप में सबसे छोटा देश मस्कट ढूंढ रहा हो।
मैडम फिर मिश्रा जी को
मदद के लिए पुकारती हैं~
“मिश्रा जी,
ये F5 किधर है..??”
मैडम की उम्र पचास से ऊपर होने के कारण
शायद मिश्रा जी
पास आकर मदद करने की जहमत नहीं उठाते।
इसलिए
वहीँ बैठे बैठे
जोर से बोलते हैं~ कीबोर्ड में
सबसे ऊपर देखिये मैडम..”
“लेकिन सबसे ऊपर तो
सिर्फ तीन बत्तियां जल रही हैं..”
“हां उन बत्तियों के नीचे है।
लम्बी लाईन है
F1 से लेकर F12 तक..”
Finally,
मैडम को F5 मिल जाता है। मैडम झट से बटन दबा देती है। मोनिटर पर आधे घंटे
जलघड़ी, ( कुछ लोग उसे डमरू समझते हैं ) बनी रहती है।
अंत में
एक मैसेज आता है~
“Session expired. Please check your connection..”
मैडम अपने हथियार डाल देती हैं।
एक नजर, आपके
गरीबी लाचारी से पुते चेहरे पर
डालती हैं और कहती हैं~
“सॉरी, सर्वर में प्रोब्लम है..”
कहने का टोन
ठीक वैसा ही होता है, जैसे
पुरानी फिल्मो में डॉक्टर ओपरेशन थियेटर से बाहर आ कर
कहता था~
“सॉरी!!
हमने बहुत कोशिश की
पर ठाकुर साहब को
नहीं बचा पाए..”
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हर DP में बदली बदली सी शक्ल लगती है, उसकी गालीब…
साली लड़की ना हुई वो,
जैसे हुई ईच्छाधारी नागिन वो…
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इन पढ़ाकू लड़कियों ने लड़को का जीना मुश्किल कर रखा है।✋🏽😎
🤢👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
अगर ऐसे ही चलता रहा तो लड़कों को भी महागठबंधन करके नंबर लाना पड़ेगा
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ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं..
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पहली बार College जाने वाली लड़कियाँ यही सोचती है अब तो कल्पना चावला बनकर ही यहाँ से निकलूंगी….. लेकिन निकलती है किसी की भाभी बनकर
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