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दिल्लगी कर जिंदगी से, दिल लगा के चल
जिंदगी है थोड़ी, थोडा मुस्कुरा के चल ….



Hote hain shayad sirf nafrat mein hi pakke rishte,
Warna ab to tan se libaas utarne ko mohhabat kehte h

शिकवे तो बहुत है,मगर शिकायत नही कर सकते…!!
मेरे होंठों को इजाजत नही है,तेरे खिलाफ बोलने कि !

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने
भला कैसे कह दूं कि “माँ” अनपढ़ है मेरी।।


सोया रहा नसीब एक अरसे तक,
जागने पर जरूरत सी खत्म हो गई अब

Tu ek bhi baar humse mili nahi warna,
Tere hi dil ko tere hi khilaaf kar dete..!!


फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ “इश्क” मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है….!!


वो किताबों में दर्ज था ही नहीं,
सिखाया जो सबक ज़िंदगी ने !!

चेहरे अजनबी हो भी जायें तो कोई बात नहीं लेकिन,
रवैये अजनबी हो जाये तो बड़ी तकलीफ देते हैं…….!!

Normal People – थोड़ा है, थोड़े की ज़रूरत है।
Sharabi – दारु है, सोडे की जरूरत है।


Milkar Kho Jana Mera Naseeb Tha,
Wah, Yeh Dard Bhi Kitna Ajeeb Tha…


“Shayad Ye Zamana Unhe Bhi Pujne Lage,
Kuch Log Isi Khayal Se Patthar Ke Hone Lage..”

यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है…..
.
…..चलो अच्छा है कुछ ख़तरा नहीं है !!


शतरंज का खेल हम खेलते नही
क्योकि
दुशमनो को हम अपने सामने बैठाते नही
और
दोरतो के साथ हमे चाल चलना आता नही . . .!

हवस का आलम तो देखिये हुजूर…
संतरे भी दबा दबाकर खरीदते हैं