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अर्ज़ किया है…
बेइज़्ज़ती और बीवी अजीब चीज़ होती हैं…
गौर फरमाइयेगा…
बेइज़्ज़ती और बीवी अजीब चीज़ होती हैं….
अच्छी तभी लगती हैं जब दूसरे की होती है!!

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दुकानदार ~ मैंने आपको दुकान की एक – एक चप्पल दिखा दी,
अब तो एक भी बाकी नहीं है…!!!
महिला ~ वो सामने वाले डिब्बे में क्या है…???

दुकानदार ~ बहन, रहम कर थोड़ा, उसमें मेरा LUNCH है

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हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं,
हाथ के अन्दर हैं पर काबू से बाहर…

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पत्नी : देखो ना, हमारे पड़ोसी ने 50 inch का LED TV ख़रीदा हैं…
आप भी खरीद कर लाइये ना..??

पति : अरे डार्लिंग.. जिसके पास तुम्हारे जैसी खूबसूरत बीवी हो..
वो क्यूँ फ़ालतू का वक़्त TV देखने में Waste करेगा.?

पत्नी : ओह.. आप भी ना..
अभी आपके लिए पकोड़े बनाकर लाती हूँ.?

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पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया! सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं – “सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है, मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ। आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है। रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाएगा। आप अपनी बेटी के साथ टाईम से पहुंचें।”..
बेचारे पापा क्या करते। आदेश के पाबंद… तुरंत छुट्टी लेकर, घर से बेटी को लेकर स्कूल पहुंच गए। सामने गुलाबी साड़ी पहने,छोटी सी बिंदी लगाए, नयी उम्र की, गोरी सी लेकिन बेहद तेज मैम बैठी थी।

पापा कुछ बोल पाते कि इससे पहले लगभग डांटते हुए बोलीं – ”आप अभी रुकिए, मैं आप से अलग बात करूंगी।”

पापा ने बेटी की तरफ देखा, और दोनों चुपचाप पीछे जाकर बैठ गए।

“मैम बहुत गुस्से में लगती हैं” – बेटी ने धीरे से कहा।
“तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड तो ठीक है” – उसी तरह पापा भी धीरे से बोले।
“पता नहीं पापा, मैंने तो देखा नहीं। “-बेटी ने अपना बचाव किया।
“मुझे भी लगता है, आज तुम्हारी मैम तुम्हारे साथ मेरी भी क्लास लेंगी।” – पापा खुद को तैयार करते हुए बोले।

वो दोनों आपस में फुसफुसा ही रहे थे कि तभी मैम खाली होकर बोलीं – “हाँ! अब आप दोनों भी आ जाइए।
पापा किसी तरह उस शहद भरी मिर्ची सी आवाज के पास पहुंचे। और बेटी पापा के के पीछे छुप कर खड़ी हो गई।
मैम- “देखिए! आप की बेटी की शिकायत तो बहुत है लेकिन पहले आप इसकी परीक्षा की कापियां और रिपोर्ट देखिए। और बताइए इसको कैसे पढ़ाया जाये” … मैम ने सारांश में लगभग सारी बात कह दी..
मैम- “पहले इंग्लिश की कापी देखिए.. फेल है आप की बेटी।”

पापा ने एक नजर बेटी को देखा, जो सहमी सी खड़ी थी..

फिर मुस्कुरा कर बोले पापा – “अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है। इस उम्र में बच्चे अपनी ही भाषा नहीं समझ पाते।”

… इतना मैम को चिढ़ने के लिए काफी था…

मैम- “अच्छा! और ये देखिए! ये हिंदी में भी फेल है।” क्यों?

… पापा ने फिर बेटी की तरफ देखा.. मानो उसकी नजरें सॉरी बोल रहीं हों…

पापा – “हिंदी एक कठिन भाषा है। ध्वनि आधारित है। इसको जैसा बोला जाता है, वैसा लिखा जाता है। अब आप के इंग्लिश स्कूल में कोई शुद्ध हिंदी बोलने वाला नहीं होगा…”

…..पापा की बात मैम बीच में काटते हुए बोलीं…

मैम – “अच्छा… तो आप और बच्चों के बारे में क्या कहेंगे जो….

इस बार पापा ने मैम की बात काट कर बोले…

पापा – “….और बच्चे क्यों फेल हुए ये मैं नहीं बता सकता… मै तो….

मैम चिढ़ते हुए बोली – “आप पूरी बात तो सुन लिया करो, मेरा मतलब था कि और बच्चे कैसे पास हो गये…” फेल नहीं”…

“अच्छा छोड़ो ये दूसरी कापी देखो आप। आज के बच्चे जब मोबाइल और लैपटॉप की रग रग से वाकिफ हैं तो आप की बच्ची कम्प्यूटर में कैसे फेल हो गई?

…. पापा इस बार कापी को गौर से देखते हुए, गंभीरता से बोले – “ये कोई उम्र है कम्प्यूटर पढ़ने और मोबाइल चलाने की। अभी तो बच्चों को फील्ड में खेलना चाहिए।

… मैम का पारा अब सातवें आसमान पर था… वो कापियां समेटते हुए बोली-” सांइस की कापी दिखाने से तो कोई फायदा है नहीं। क्योंकि मैं भी जानती हूँ कि अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन फेल होते थे।”

… पापा चुपचाप थे…

मैम ने फिर शिकायत आगे बढ़ाई – “ये क्लास में डिस्पलिन में नहीं रहती, बात करती है, शोर करती है, इधर-उधर घूमती है।”

पापा ने मैम को बीच में रोक कर, खोजती हुई निगाह से बोले…

पापा – “वो सब छोड़िए! आप कुछ भूल रहीं हैं। इसमें गणित की कापी कहां है। उसका रिजल्ट तो बताइए।

मैंम-(मुंह फेरते हुए) हां, उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।

पापा – “फिर भी, जब सारी कापियां दिखा दी तो वही क्यों बाकी रहे।”

मैम ने इस बार बेटी की तरफ देखा और अनमने मन से गणित की कापी निकाल कर दे दी।

…. गणित का नम्बर, और विषयों से अलग था…. 100%…..

मैम अब भी मुंह फेरे बैठी थीं, लेकिन पापा पूरे जोश में थे।

पापा – हाँ तो मैंम, मेरी बेटी को इंग्लिश कौन पढ़ाता है?
:
मैम- (धीरे से) मैं!
:
पापा – और हिंदी कौन पढ़ाता है?
:
मैम- “मै”
:
पापा – और कम्प्यूटर कौन पढ़ाता है?
:
मैम- वो भी “मैं”
:
पापा – अब ये भी बता दीजिए कि गणित कौन पढ़ाता है?
:
मैम कुछ बोल पाती, पापा उससे पहले ही जवाब देकर खड़े हो गए…
पापा – “मैं”…
:
मैम – (झेंपते हुए) हां पता है।
:
पापा- तो अच्छा टीचर कौन है????? दुबारा मुझसे मेरी बेटी की शिकायत मत करना। बच्ची है। शरारत तो करेगी ही।
:
मैम तिलमिला कर खड़ी हो गई और जोर से बोलीं- ”मिलना तुम दोनों आज घर पर, दोनों बाप बेटी की अच्छे से खबर लेती हू….”

😀😂😂😁😆🤣🤣

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जनाज़ा इसीलिए भारी था उस गरीब का…!!
क्योकि वह सारे अरमान साथ लेकर चला गया…!!

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औऱ हाँ,
जिन्हें देश के pm से तकलीफ़ हैं वो देश बदल लें,
क्योंकि pm तो आप बदलने से रहे

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अगर आप अपनी रोटी अच्छी पका रहे है तो,
#मक्खन लगाने वाले अपने आप आपके पास आ जाएँगे.

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लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के पिता से मिलने गया…..,

लड़की का पिता:- मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी अपनी पूरी जिंदगी एक मुर्ख इंसान के साथ गुज़ारे….,

लड़का:- बस अंकल, इसीलिए तो मैं उसे यहां से ले जाने आया हूँ।

दे जूते….दे चप्पल….।
?????

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रोना ही है ज़िन्दगी तो हँसाया क्यो..
जाना था दूर तो नज़दीक़ आया ही कयो

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Ek baat bolu..
Akele jeena aa hi jata hai,
Jab maloom hota hai k ab koi
Saath chalne wala nahi.

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पप्पू एक बारात में गया, वहां उसे बार-बार पानी परोस दिया जाता था।
बेचारा परेशान होकर चिल्लाया: गले में पानी फंस गया है भाई, थोड़ा रसगुल्ला दे दो।

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एक बहुत बड़ा सरोवर था। उसके तट पर मोर
रहता था, और वहीं पास एक
मोरनी भी रहती थी। एक दिन मोर
ने मोरनी से प्रस्ताव रखा कि- “हम
तुम विवाह कर लें,
तो कैसा अच्छा रहे?”
मोरनी ने पूछा- “तुम्हारे मित्र
कितने है ?”
मोर ने कहा उसका कोई मित्र
नहीं है।
तो मोरनी ने विवाह से इनकार कर
दिया।
मोर सोचने लगा सुखपूर्वक रहने के
लिए मित्र बनाना भी आवश्यक है।
उसने एक सिंह से.., एक कछुए से.., और
सिंह के लिए शिकार का पता लगाने
वाली टिटहरी से.., दोस्ती कर लीं।
जब उसने यह समाचार
मोरनी को सुनाया, तो वह तुरंत
विवाह के लिए तैयार हो गई। पेड़ पर
घोंसला बनाया और उसमें अंडे दिए, और
भी कितने ही पक्षी उस पेड़ पर रहते
थे।
एक दिन शिकारी आए। दिन भर
कहीं शिकार न मिला तो वे उसी पेड़
की छाया में ठहर गए और सोचने लगे,
पेड़ पर चढ़कर अंडे- बच्चों से भूख बुझाई
जाए।
मोर दंपत्ति को भारी चिंता हुई,
मोर मित्रों के पास सहायता के लिए
दौड़ा। बस फिर क्या था..,
टिटहरी ने जोर- जोर से
चिल्लाना शुरू किया। सिंह समझ गया,
कोई शिकार है। वह उसी पेड़ के नीचे
चला.., जहाँ शिकारी बैठे थे। इतने में
कछुआ भी पानी से निकलकर बाहर आ
गया।
सिंह से डरकर भागते हुए
शिकारियों ने कछुए को ले चलने
की बात सोची। जैसे ही हाथ
बढ़ाया कछुआ पानी में खिसक गया।
शिकारियों के पैर दलदल में फँस गए।
इतने में सिंह आ पहुँचा और उन्हें ठिकाने
लगा दिया।
मोरनी ने कहा- “मैंने विवाह से पूर्व
मित्रों की संख्या पूछी थी, सो बात
काम की निकली न, यदि मित्र न
होते, तो आज हम सबकी खैर न थी।”
मित्रता सभी रिश्तों में
अनोखा और आदर्श रिश्ता होता है।
और मित्र
किसी भी व्यक्ति की अनमोल
पूँजी होते है।
अगर गिलास दुध से भरा हुआ है तो आप उसमे और दुध
नहीं डाल
सकते । लेकिन आप उसमे शक्कर डाले । शक्कर अपनी जगह
बना लेती है और अपना होने का अहसास दिलाती है।
जीवन में किसी के दोस्त बनो तो शक्कर की तरह बनों।
राधे राधे।

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~Mil Jaye Ager Fursat Toh Parhna Zaroor Mujhe,
Nakaam Zindagi Ki Mukammal Kitaab Hun Meiin .. ‘

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गलतफहमी में जिंदगी गुजार दी,

कभी हम नहीं समझे कभी तुम नहीं समझे….!!

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मेरा कातिल कहीं मिले तो उसे ये खबर जरुर दे देना,
जिसका तुमने कत्ल किया था वो शक्स आज भी जिन्दा है !!

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