Good morning ,good afternoon , good evening, good night
wish karne main Kya raha h.
karo wish to kaho shubhprabhat,
jai shri Krishna



नया ले आते हैं पुराना सामान कचरे में फैंक के ,
घर में पुरानी चीजें अब अच्छी नंही लगती ,

घर के किसी कोने में उसका भी बिस्तर है ,
नई बैठक में बूढ़ी माँ … अब अच्छी नंही लगती ,

आजकल पेड पर लदे बेर
खुद ही मजबूरी में
नीचे गिरने लगे हैं ..
क्योंकि
बेर को भी पता है
पत्थर मारने वाला बचपन
अब मोबाईल में व्यस्त है

वापिस नही आता, तीर चल जाने के बाद ..
कौन पुछेगा तुझे, ये हुस्न ढल जाने के बाद !!
बोलो वाह वाह


कभी कभी लगता है कहानियाँ अधूरी ही खूबसूरत होती हैं उनकी पूर्णता उनकी तरफ नीरसता ला देती है….
और फिर अधूरे को पूरा करने के लिए उस अधूरे को फिर जीना पड़ता है ये लय टूट जाये तो फिर सुर लगते नही जल्दी….

एयरलाइन्स के अनुसार सारा मामला अन्त्येष्टि से लौटे एक थके हारे यात्री द्वारा अनजाने में हुई अशिष्टता का है।
यात्री ने विमान में बैठते ही उसे डिस्टर्ब नहीं करने व खाना भी सर्व नहीं करने को कह दिया था।
वह कम्बल तान सो गया, इसी दौरान उसका पांव अगली सीट पर लग गया होगा …
एक एक्ट्रेस की सस्ती पब्लिसिटी की लालसा से एक लापरवाह यात्री को जेल हो सकती,
उसकी नौकरी जा सकती,
अदालतों के चक्कर में उसका पूरा परिवार तबाह हो सकता ….
यात्री ने जायरा से माफी तक मांग ली
इस घटना से एक सवाल सबके मन में उभर रहा –
विमान में पिछली सीट पर बैठा व्यक्ति अपने पांवों से अगली सीट के यात्री की पीठ कैसे सहला सकता? …
गर्दन कैसे सहला सकता?
तमाम पुरूष यात्रियों को चेतावनी – यदि आपकी सीट किसी महिला के आगे-पीछे, अगल-बगल हो तो अपनी सीट बदलवा लें आप चाहे फ्लाइट में हो न हो बस या ट्रेन किसी में भी हो.. उंगली भी अड़ गई तो आपकी बात कोई सुनने वाला नहीं, महिला के बयान से ही आपकी वाट लग जायगी, की दो टके की जायरा आपकी जिंदगी बर्बाद कर सकती है


आख़िर क्या कारण था कि मुंबई के ताज होटल पर हुए भीषण हमले में ताज होटल का कोई भी कर्मचारी अपनी ड्यूटी छोड़कर और होटल छोड़कर नहीं भागा ??

26/11 मुंबई अटैक. यानी 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ. तीन हथियारबंद आंतकियों ने मुंबई के ताज होटल समेत कई जगहों पर हमला किया. अब भी होटल ताज की वो दहशत में डूबी तस्वीरें ताजा हैं. मगर 26/11 के दौरान होटल ताज में जो लोग फंसे रहे, वो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक विषय बन गए. इस स्टडी में कई चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने आए हैं.
बुधवार का दिन था. 500 के करीब गेस्ट रुके हुए थे और करीब इतने ही बैंक्वेट हॉल्स में अलग-अलग फक्शन अटैंड कर रहे थे. रात को 9 से 9.30 बजे के बीच अचानक गोलीबारी की आवाज़ें आईं. किसी को पता नहीं चल रहा था कि आखिर ये कैसी आवाज़ है. करीब 600 कर्मचारी भी थे उस वक्त होटल ताज में.

24 साल की बैंक्वेट मैनेजर मल्लिका जगद उस समय गेस्ट को संभाल रहीं थीं.
रिसर्च में सामने आया कि कर्मचारियों में ज्यादातर 25 से 30 साल के थे. उनको पता था कि कौन सा दरवाज़ा कहां है और कहां से खुलता और बंद होता है. साथ ही कैसे बाहर निकला जा सकता है. इंसानी फितरत होती है कि मुश्किल के समय अपनी जान बचाकर भागा जाए. वो कहते भी तो हैं -जान बची तो लाखों पाए. मगर हैरानी की बात ये है कि उस हमले के दौरान होटल ताज का एक भी कर्मचारी भागा नहीं. अंदर फंसे होटल स्टाफ ने मेहमानों को अपनी जान पर खेलते हुए बचाया.

इनमें टेलीफोन ऑपरेटर्स भी शामिल थीं. ये फीमेल स्टाफ ही था जो पहले बाहर निकला और फिर इमरजेंसी की सिचुएशन में वापस अपने वर्क स्टेशन पर आ गया. उन्होंने होटल के हर कमरे में गेस्ट को फोन किया और बताया कि वो अपने-अपने रूम की लाइट बंद कैसे करें. ऑपरेटर्स पूरी रात अंदर ही रहे और लगातार गेस्ट की सेफ्टी के लिए उन्हें जानकारियां देते रहे.

होटल के छठे माले पर शेफ ने गेस्ट को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एक दूसरे के हाथ से हाथ जोड़कर एक ह्यूमन चेन बना ली. गेस्ट को बीच में रखकर सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश की. इतने में दो आतंकवादी सामने आ गए और कई शेफ को मौके पर ही गोली मार दी.

इस पर रिसर्च करते हुए मनोवैज्ञानिक ने तीन नतीजे निकाले-

#1 ताज ग्रुप ने अपने होटल में बड़े शहरों से नहीं बल्कि छोटे कस्बों से लोगों को नौकरी पर रखा था. ये सामने आया कि आज भी छोटी जगहों से आए लोग एक-दूसरे से जुड़ाव महसूस करते हैं.

#2 दूसरा निष्कर्ष ये निकला कि ताज ने किसी भी टॉपर यानी क्लास में सबसे ज्यादा मार्क्स लेने वाले को नौकरी पर नहीं रखा था. एचआर टीम यानी ह्यूमन रिसोर्स ने नौकरी के लिए छांटे गए लोगों के स्कूल टीचर्स से बात की थी और जाना था कि आवेदक अपने पैरेंट्स, टीचर्स और आसपास के लोगों के साथ किस तरह का बर्ताव करता था. यानी एटीट्यूड चेक किया न कि मार्क्स.

#3 तीसरी और आखिरी बात ये निकलकर आई कि ताज ने अपने कर्मचारियों को सिखाया था कि वो ताज ग्रुप के लिए उनके मेहमानों के प्रतिनिधि होंगे, न कि मेहमानों के लिए ताज के प्रतिनिधि. सभी फ्रंट डेस्क कर्मचारियों को गेस्ट की आवाज बनने की ट्रेनिंग दी गई. एक और बात जो इसी से जुड़ी है. ताज में ये कल्चर है कि कोई भी गेस्ट जब किसी कर्मचारी के लिए अच्छा रिमार्क लिखकर जाता है तो मैनेजमेंट उस कर्मचारी को 24 घंटों के भीतर इनाम देता है.


भिखारिन – “बच्चा भूखा है, कुछ दे दे सेठ!”
गोद में बच्चे को उठाए एक जवान औरत हाथ फैला कर भीख माँग रही थी।
“इस का बाप कौन है? अगर पाल नहीं सकते तो पैदा क्यों करते हो?”
सेठ झुंझला कर बोला।
औरत चुप रही। सेठ ने उसे सिर से पाँव तक देखा। उसके वस्त्र मैले तथा फटे हुए थे, लेकिन बदन सुंदर व आकर्षक
था।
वह बोला, “मेरे गोदाम में काम
करोगी? खाने को भी मिलेगा और पैसे
भी।”
भिखारिन सेठ को देखती रही, मगर बोली कुछ नहीं।
“बोल, बहुत से पैसे मिलेंगे।”
भिखारिन बोली…
“सेठ तेरा नाम क्या है?”
“नाम !! मेरे नाम से तुझे क्या लेना देना?”
“जब दूसरे बच्चे के लिए भीख
माँगूंगी तो लोग उसके बाप का नाम पूछेंगे तो क्या बताऊँगी ?”
……..अब सेठ चुप था…….

Good morning thoughts
1. दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना ।
2. यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं ।
3. यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं
4. गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं ।
5. कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर ।
6. हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती ।
7. दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता ।
8. जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा) ।
9. मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते ।

पता_है_मैं_हमेसा खुश क्यों रहता हूँ ..?
क्योंकि,मैं अपने माॅ ओर बाप के सिवा किसी से कोई उम्मीद नहीं_रखता


एक मेढक पहाड़ की चोटी पर चढ़ने का सोचता है और आगे बढ़ता है
बाकी के सारे मेंढक शोर मचाने लगते हैं “ये असंभव है.. आज तक कोई नहीं चढ़ा.. ये असंभव है.. नहीं चढ़ पाओगे”
मगर मेंढक आख़िर पहाड़ की चोटी पर पहुँच ही जाता है.. जानते हैं क्यूँ?
क्योंकि वो मेंढक “बहरा” होता है.. और सारे मेंढकों को चिल्लाते देख सोचता है कि सारे उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं
इसलिए अगर आपको अपने लक्ष्य पर पहुंचना है तो नकारात्मक लोगों के प्रति “बहरे” हो जाइए |
———Thought for the Day !!!
*🌻व्यस्त रहें,मस्त रहें,स्वस्थ रहें


जंगली🌄 जड़ी बूटी🍀🍀सा हूँ मैं दोस्तो👬👬,
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..
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..
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किसी को ज़हर😋 तो किसी को,
दवा😋😋 सा लगता हु

*एक फ़कीर नदी के किनारे बैठा था. किसी ने पूछा : ‘बाबा क्या कर रहे हो?’ फ़कीर ने कहा : ‘इंतज़ार कर रहा हूँ की पूरी नदी बह जाएं तो फिर पार करूँ’ उस व्यक्ति ने कहा : ‘कैसी बात करते हो बाबा पूरा जल बहने के इंतज़ार मे तो तुम कभी नदी पार ही नही कर पाओगे’ फ़कीर ने कहा “यही तो मै तुम लोगो को समझाना चाहता हूँ की तुम लोग जो सदा यह कहते रहते हो की एक बार जीवन की ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो जाये तो मौज करूँ, घूमूँ फिरू, सबसे मिलूँ, सेवा करूँ… जैसे नदी का जल खत्म नही होगा हमको इस जल से ही पार जाने का रास्ता बनाना है इस प्रकार जीवन खत्म हो जायेगा पर जीवन के काम खत्म नही होंगे.”*
*💐आज ही जीए जिंदगी.💐*


भारतीयों की सोच का नमूना।

😮

मोदी 5 साल में
देश की सभी समस्याएं सुलझा दे,

वर्ना उन लोगो को वोट दे देंगे,

जिन्होंनेे 70 सालो में
सारी समस्याएँ खड़ी की ।

😡

कुछ बेतुके झगड़े यूं ही खत्म कर
दिया करो,,

जहाँ गलती ना भी हो वहाँ भी हाथ
जोड़ लिया करो 😊😄

1. भारतीय क्रिकेट टीम, चायना oppo का प्रचार-प्रसार कर रही है |
2. अमिताभ बच्चन KBC में चायना VIVO के साथ सेल्फी ले रहे हैं |
3. रनवीर सिंह (अभिनेत) VIVO के ब्रांड अम्बेसडर हैं |
4. बिग बॉस का स्पॉंसर चायना oppo हीं है |
गरीब से कहा जा रहा है कि अगर आपने 10 रूपये की चायना वाली झॉलर खरीदी तो आप देशभक्त नहीं, देशद्रोही हैं |