रेल की तरह गुजर तो कोई भी सकता है …..

पटरी की तरह इंतजार में पड़े रहना ही असल इश्क है ……

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जिंदगी शुरू होती है रिश्तों से,
रिश्ते शुरू होते है प्यार से,
प्यार शुरू होता है अपनों से,
और अपने शुरू होते हैं आप से।

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मीलों दूर से, मुझे कोई महसूस कर रहा है,
एक दिल है , जो मुझे मोहब्बत खूब कर रहा है.

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वो मोहब्बतें जो तुम्हारे दिल में हैं,
उससे जुबां पर लाओ और बयां कर दो,
आज बस तुम कहो और कहते ही जाओ,
हम बस सुनें ऐसे बे-ज़ुबान कर दो !

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ईश्क की गहराईयो में खूब सूरत क्या है,
मैं हूं , तुम हो, और कुछ की जरूरत क्या है!

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~Yoon Naa Dekha Karo Khuda Ke Waaste,
Barh Gyi Nah Mohabbat Toh Musibat Ho Jayegi .. ^

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तुम्हे पहली बार मैंने तब नोटिस किया था,
जब किसी शाम तुम एक सब्ज़ी वाले से झगड़ा कर रही थी।
उसे डांटते वक़्त तुम्हारी आवाज़ इतनी तेज़ थी
कि मुझे मेरे कमरे तक सब सुनाई दे रहा था।
जब मैं बालकनी में आया तो तुम्हारा गुस्से से लाल चेहरा
देख हाथ बाँध कर आनंद लेने लगा।
दाँत पीस कर जिस
तरह तुम उस सब्जी वाले से उलझी थी,
मैं तो वही देख कर बिछ गया था।
तुम्हारे घर से अक्सर पुराने गीत की मधुर ध्वनियाँ मेरे
कमरे तक सुनाई देती है।
“माँग के साथ तुम्हारा मैंने..,
ढल गया दिन..,
मेरे साजन..”
मतलब गज़ब प्लेलिस्ट है तुम्हारी,
हू-ब-हू मेरी प्लेलिस्ट की तरह। बस मैं किशोर को थोड़ा ज़्यादा prefer करता हूँ।
थोड़ा स्पष्ट सुनने के लिए अब मैं बालकनी में आ गया
था।
तुम चाय का कप लिए नीचे खेल रहे बच्चों को देख रही थी।
शायद तुम इस बात से बेफिकर थी कि मैं
बगल खड़ा तुम्हें देख रहा था।
या यूँ कहूँ कि घूर रहा था।
तुम एकदम से मेरी ओर मुड़ी
और मैंने भी कितनी
स्फूर्ति से अपनी आँखों को तुमसे हटाकर दूसरी तरफ
देखने का नाटक किया।
शायद ये सही मौका नहीं था बात करने का।
या शायद इससे अच्छा मौका न मिलता।
एक आदर्श मोहल्लावासी होने के नाते मैंने अपनी
मौजूदगी दर्ज करानी चाही ही थी कि तुम्हारी माता जी ने तुम्हे आवाज़ लगा दी।
और तुम अंदर चली गयी।
इसके बाद कभी कोई ठीक ठाक मौका
ही नहीं मिला तुमसे मुखातिब होने का।
फिर एक दिन मैं छत पर लैपटॉप लिए बैठे जाने क्या
कर रहा था,
कि तुम भी एक हाथ में बाल्टी, दुसरे में चिमटियां थामे छत पर आ गयी।
और एक-एक करके
कपड़े फैलाने लगीं तारों पर।
जितनी बार तुम कपड़े
तारों पर डालने से पहले उन्हें झटकती,
उतनी बार तुम्हारी चूड़ियाँ झनझना उठती थी।
उसका शोर पूरी छत पर गूँजता रहा था।
एकदम हाय-हुक-हाय-
हाय वाले गाने की फीलिंग आ रही थी।
तभी मेरी फोन की घंटी बजी
और तुमने देखा की मैं भी वहाँ
चोरों की तरह बैठकर,काम करने की एक्टिंग कर रहा हूँ।
तुम सकपका गयीं।
लेकिन मैंने माहौल पे पकड़
बनाये रखने के लिए तुरंत बोल दिया..
“आज धूप बहुत तेज़ है न!”
“हाँ, सो तो है।
लेकिन क्या किया जाए,
कपड़े तो धुलने ही पड़ेंगे।”
“ये बात तो है,
कोई मदद करूँ आपकी?”
“कपड़े धोने में? ”
“अरे मतलब कपड़े सुखाने में ”
“अरे नहीं मैं कर लूँगी”
“वैसे आपको किसी भी तरह की ज़रूरत हो तो बता
सकती हैं आप, बेझिझक।”
“जी बिलकुल ”
हालाँकि ये एक बहुत औपचारिक वार्ता थी,
लेकिन इस वार्ता के बाद ये स्पष्ट था कि अभी संभावनाएं हैं।
किस चीज़ की, ये पता नहीं,
लेकिन इतना ज़रूर है
कि तुम्हारे आने से अब छत का माहौल बदला सा है,
बाल्कनी अब सूनी नहीं लगती।
मोहल्ला मानो मुकम्मल हो गया हो तुम्हारे आने से,
और मैं भी!!!

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Apni har ek saans teri ghulam kar rakhi hai,
logo me ye zindagi badnam kar rakhi hai,
aaina bhi nahi ab to kisi kam ka…
hamne to apni parchhayi bhi sanam tere naam kar rakhi hai…

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~Woh Acha Haii Toh Behtar Bura Haii Toh Bhii Qabool,
Mizaaj’E-Ishq Meiin Aib’E-Yaar Nahi Dekhey Jatey .. ^

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मैं तेरे नाम की माला हमेशा जपता था …

तेरे हर मनके पे गै़रों का नाम लिखा है ,

मेरे हाथों में रहती तो सर माथे रखता ,

तेरे माथे पे तो पैरों का नाम लिखा है ,

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पलकों में कैद कुछ सपने है,
कुछ बैगाने और कुछ अपने हैं,
ना जाने क्या कशिश है इन ख्यालों में,
कुछ लोग दूर होकर भी अपने है…

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मैं घर से जरा दूर हूँ,
मगर माँ तो दिल में रहती है।
खुद बेशक हो परेशान,
पर मुझे अपना ख्याल रखने को कहती है।
खुद भूखी भी सो जाती है,
मगर हमारा पेट भरा रखती है।
कभी जब लाइट चली जाती है रात में,
खुद ही अपने चुन्नी के पल्ले से हवा करती है।
कितना भी खाते रहो रोज,
मेरा बेटा कमजोर हो गया, बस यही कहती है।
कितनी भी दिक्कत हो जाए उनको,
पर चेहरे पर वही मुस्कान रहती है।
मान लेना चाइए आँख बंध करके,
माँ जो कहती है।।
हाँ मैं जरा दूर हूँ घर से, मगर माँ दिल में रहती है।।

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Pgl dost hota hai love me hum pgl hote hai
Dost hosla deta hai luv zindagi leta hai
Dosti or luv me bhot fark hai yaro
Dosti jaan dete hai luv jaan ko be jaan karte hai
Or hum vo hai jo sirf dosti me jaan dete hai
Aashique to sala jaan late haiiiiiiiiii

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माँ कहती – शादी कर लो… शादी कर लो… शादी कर लो
ऐसे कैसे शादी कर लूँ
अभी तो इश्क़ होना बाकी था..
किसी के ख्यालों में खोना बाकी था..
जागता तो पहले भी था दोस्तों के साथ रातों को
अभी तो किसी के लिए सारी रात जागना बाकी था …
अभी तो इश्क़ होना बाकी था…
हम सोचते थे रात में तारों को देख कर
अभी तो चाँद में किसी का चेहरा नज़र आना बाकी था..
अभी तो इश्क़ होना बाकी था …
कुछ घंटों तक मैसेज ना आये तो किसी से रूठना बाकी था
जब कॉल not reachable आये तो किसी के लिए बेचैन होना बाकी था…
अभी तो इश्क़ होना बाकी था…
अभी तो वीकेंड की आधी रातों को ओल्ड मॉन्क पी कर जागते हैं
अभी किसी के लिए जागते जागते रातों को चाय पीना बाकी था…
अभी तो इश्क़ होना बाकी था…

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कुछ तो बात होगी उस पगली में जो मेरा दिल उसपे आ गया था

वरना में तो इतना सेल्फिश हु की अपने जीने की भी दुआ नही करता..😍 😍Love you jaan

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Kaha se aati hai ye hichkiya,
Na jane KOUN fariyad karta hai,
Khuda hamesha Salaamat rakhe usko,
Jo hume Apne Dil se yaad karta hai.

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