इब या किसनै फैलाई…
कोहली ब्याह मै बाज्या आल्या के रपिये मार गया
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एक अस्सी साल के बुजरग नै बुढ़ापे के अकेले पण तै तंग आकै एक सत्तर साल की विधवा गैल ब्याह कर लिआ …
सुहागरात नै बेगम धोरै गया अर … उसका हाथ पकड़ कै सो ग्या …
दूसरी रात बी याए काम करया बुढ़िया का हाथ पकड़ कै सो गया …
तीसरी रात बी …
चौथी बी …
पांचवी रात हाथ पकड़न लाग्या तो बुढिया बोल्ली … आज मेरी तबियत कुछ ठीक नाहै जी … आज रैहण दो प्लीज
एक बै एक जनैत जीमण लाग री थी। सबकी
पातल (प्लेट) में लाडडू धरे थे। एक ताऊ रह
गया।
कई बार हो गी।
ताऊ ने लाडु ना मिला।
हार के ने ताऊ छात की ओर मुँह करके बोल्या
– राम करे के छात पड़ ज्या। अर सारे दब के मर
ज्या।
एक जना बोल्या -हां ताऊ,जे या छात
पड़ेगी तो तू क्यूकर बचेगा?
ताऊ बोल्या – इब बी तो बच रया सु।
एक घणी सुथरी छोरी किराने की दुकान पै जाकै बोल्ली :: लाला जी लिपटन की चा है के … 😗😗
लाला जी बोल्या :: ना बेब्बे चा पत्ती तो खतम होगी ,
थम के सोच्चो थे लाला के कवैगा … लुच्चे कट्ठे होरे बइमान … 😂😅😜
जो.इसका मतलब समज रे हैं वे तो मजे लेरे जिसनै ना समज आई वे किसे तै टैग कर कै पूछ ल्यो … लुच्चे तो घणे हैं .
करनी सेना वालों से एक करबद्ध निवेदन …
भाई जो भी करो थारी मर्जी है … पर एक काम जरुर करिओ इसी बहाने औढ़ै जो मक्की के फुल्ले अर बरफ आली चाय बेच्चैं है न उनके गट्टे जरुर तोड़िओ मेरे भाई …
सुसरा दस रपइयां का सौदा नी … द्यो जी एक सौ बीस रपइए , ब्लैकमेलर हैं यार … आत्मा तक चिंघाड़ मारै है रेट सुणकै .
दो आदमियों की बीवीयाँ मेले में खो गईं जिसमे से एक हरियाणा से था और एक दिल्ली से l
.
अपनी अपनी बीवी ढूंढते हुए वो आपस में मिले..!
.
तुम्हारी वाली की पहचान? – हरियाणा वाले ने दिल्ली वाले से पूछा.
दिल्ली वाला बोला – 5’7″, गोरी, भूरी आँखें और पतली है, स्लीवलेस पिंक टीशर्ट और लाल मिनी स्कर्ट पहने है।😪
तुम्हारी की क्या पहचान है ?😌
हरियाणा वाला- मेरे आली कै मार गोली, चाल तेरी ढूंढेंगे
बैंक खाते आधार तै लिंक करो …
रुक्के देंदा रै गया नरेंद्र मोदी ,
बैंक अफसरां तै लिंक करकै …
पीसे लेकै भाज गया नीरव मोदी ,
मोदी महिमा अपरम्पार …
एक मोदी चौकिदार … दो चोरी करकै फरार ,
ललित , नीरव दोनूं यार …
माल्या का बी बेड़ापार ,
गरिबो क्यां का झगड़ा … क्यां की तकरार ,
अबकी बार बी आण द्यो मोदी सरकार ,
देस मैं ना रैहण देणे ये चोर …
बचे होए बी भजा दयांगे बाहर ..
नब्बे दिन छुटके नब्बे दिन नवम्बर दिसम्बर जनवरी … नहाना मतलब मौत को दावत देना …
फरवरी … एक महीना ऐसे ही इंतजार करो क्योंकि अचानक पानी उपर डालोगे तो गरम सरद हो सकता है ….
सिर्फ होली से बचो तो मार्च भी निकल जाएगा … सुसरे गीले पानी से बच के …
अप्रेल में थोड़ा सैंट छिड़क लो … लोगों का ऐसे ही ऐप्रेल फूल बना रहेगा … बइ बंदा खुश्बुएं फेंक रहा तो नहाया होगा … मई थोड़ा उपर नीचे करके निकाल दो …
जून जुलाई अगस्त … पसीना ही इतना आता है कि बंदा वैसे ही नहाया रहता है … सितम्बर मौसम बदलता है डाक्टर भी बोलते हैं नहाना मत …
बचा एक अक्तुबर तो यार एक महिना अपने दम से निकालो … यां सब मैं ही सिखाऊं …
नब्बे दिन छुटके बस्स्स् नब्बे दिन ….
आग्गै मरजी है तेरी आखिर गात है तेरा …
उस दोस्त पै कदे जकीन ना करिओ जो थारा रेजर लेजै अर बिना दाढ़ी बणाए उल्टा देजा
फेरे होए पाछै दहेज के समान की लिस्ट पढन लागे,
बोला एक संदूक,
एक अलमारी,
एक कुलर,
इतने मे एक निचै बैठा शराबी बोल्या- एक बैंगण भी लिख लें,
वो धमका दिया, तु चुप बैठा रह॥
फेर बोलण लागा- एक डबल बैड,
एक सीसा,
एक सोफा सैट,
वो शराबी फेर बोला- एक बैंगण भी लिख लें,
वो फेर तै धमका दिया।
फेर बोला- एक सिलाई मशीन,
एक कढाई मशीन,
एक वाशिंग मशीन,
शराबी फेर बोल्या- आरै एक बैंगण भी लिख ल्यो,
सारे बुझण लागे -बता बैगण क्यांतै लिख ले?
शराबी- अरै कैल नै छौरी गेल्या रोला होगा तै साले न्यूं ना कह दे के बैंगण ल्याई थी ?
चौधरी से मेज़बान ने पूछा-
चौधरी जी क्या लेंगे आप, हलवा लाऊं या खीर??
चौधरी – घर में कटोरा एक ही है के??
हरयाणे का एक गिट्ठा सा छोरा दिल्ली बस मैं जा था भीड़ घणी थी खड़े नै धक्के लागैं थे उपर सहारे आले डंडे तंइ उसका हाथ ना पौंच्या … एक लाम्बा सा माणस खड़या था उसकी दाड्ढी पकड़ कै खड़या हो ग्या अराम तै …
उस बंदे नै सोच्ची गल्ती तै पकड़ रया है बोल्या :- जनाब आप मेरी दाढ़ी पकड़े खड़े हैं इसे छोड़ दीजिए …
म्हारे आला गिठ मुठिया बोल्या :- क्यों उतरणा है के
ऐसी की तैसी किसी गब्बर टब्बर की … 😈😈
आलम पूरे मुहल्ले में ये है हमारी दहशत का …
हाथ में आइसक्रीम लिया हर बच्चा काँप उठता है हमें देखके …
अक ईब यो खोसैगा … 😢
एक बणिये का आखरी बखत आ-ग्या ।
उसनै आवाज लगाई – बेटी लक्ष्मी !
वा बोल्ली – “हां बाबू !”
फिर उसनै आपणे छोरे को आवाज लगाई – बेटा कुबेर!
छोरा बोल्या – “हां बाबू!”
बणिया ने फिर आपणी घर-आळी खातिर रूका मारा- भागवान !
उसकी घर-आळी बोल्ली -“हां जी !”
बणियां बोल्या – अड़ मखा लुटवाओगे – तुम सारे हाड़ै बैठे सो,
दिल्ली की छोरी :- आपने किसी से प्यार किया है … 😗
हरयाणवी छोरा :- आहो मैडम घणा किया है जी … 😎
दिल्ली की छोरी :- WOW किससे … 😗
हरियाणवी छोरा :- घी बूरे तै … खाट्टू के साग अर बाजरे के रोट तै … घेवर तै … लास्सी तै … मक्खण तै … और बी घणी चीज हैं मैडम जी … 😎
दिल्ली की छोरी :- पागल हो क्या इनसे कौन प्यार करता है … 😗
हरियाणवी छोरा :- हाम करां हां मैडम जी , एकबै खा कै देख ल्यो आपनै बी हो जागा
कड़ै गऐ बचपन के मित्र,
पाटी कच्छी टुटे लित्र ।
भैसैया गेल्यां गऐ जोहड पै,
काढ़ी कच्छी बडगे भित्तर ।
माचिस के ताश बणाया करदे,
नहर पै खेलण जाया करदे ।
घर तै लुकमा बेच कै दाणे,
खा गे खुरमे खिल मखाणे ।
मिश्री तै मिठे होया करदे,
खिल्लां तै फ़िक्के होगे….
वे यार पुराणे रै…
बेरा ना कित्त खोगे।
पकड लिये फेर स्कूल के रस्ते,
हाथ मै तख्ती काँख मैं बस्ते ।
गरमी गई फेर आ गया पाला,
एक दिन नहा लिऐ एक दिन टाला ।
पैंट ओर बुरसट मिलगी ताजी,
एक दो दिन गए राजी राजी ।
हाथ जोड फेर रोवण लागे,
आज आज घर पै रहण दैयो मां जी ।
आखयां मै आंसु आए ना…
हाम्म थुक लगा कै रोगे ।
वे यार पुराणे रै…
बेरा ना कित्त खोगे ।
कॉलेज मै फेर होग्या एडमिशन,
बाहर जाण की थी परमिशन ।
रोडवेज मै जाया करदे,
नकली पास कटाया करदे ।
बीस रुप्पली करकै कट्ठी,
ले लिया करदे चा और मट्ठी ।
स्पलैंडर पै मारे गेडे,
सैट करली थी दो दो पट्ठी ।
मास्टर पाठ पठाया करदा,
आंख मिच कै सोगे ।
वे यार पुराणे रै…
बेरा ना कित्त खौगे ।
वक्त गेल गऐ बदल नजारे,
बिखर गऐ सब न्यारे न्यारे ।
घरां पडया;कोए करै नौकरी,
घरक्यां नै करी पसंद छोकरी ।
शादी करली बणगे पापा,
कापी छोडी लिया लफाफा ।
रोऐ जा सै दिल मरज्याणा,
भुल गऐ क्यु टैम पुराणा ।
“saare balak” याद करै..
क्यु बीज बिघन के बो गे रै ।
वे यार पुराणे रै,
बेरा ना कित्त खोगे….