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हाथ मे बस एक ‘बासुँरी’ कि कमी है वरना,
गोपिया हमने भी कई ‘फसाई’ है..!!



सबर कर बन्दे मुसीबत के दिन भी गुज़र जायेंगे,
हसी उड़ाने वालो के भी चेहरे उतर जायेंगे…

ये तो मोहब्बत थी तुमसे जो तेरी बेवफ़ाई बर्दास्त कर गया,
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ऐ बेवफा,
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वरना तेरे सीने से वो दिल निकाल लेता जो मोहब्बत के काबिल ना था

कैसे बयान करे अब आलम दिल की बेबसी का,
वो क्या समझे दर्द इन आंखों की नमी का,
चाहने वाले उनके इतने हो गए हैं कि,
अब एहसास ही नहीं उन्हें हमारी कमी का।


मुझको ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं;

फिर भी खुश हूँ मुझे उस से कोई गिला नहीं;

और कितने आंसू बहाऊँ उस के लिए;

जिसको खुदा ने मेरे नसीब में लिखा ही नहीं।

कभी मुझको साथ लेकर, कभी मेरे साथ चलकर…!
वो बदल गया अचानक, मेरी जिंदगी बदल कर…!!


इस ज़िंदगी पर सिर्फ मेरा हक़ होता,
तो कबका मौत को गले लगा लेता,
पर एक वो ” माँ ” भी है ,
जो मेरी सलामती की दुआ करती फिरती हे।।।


जिस दिन तुम्हारा सबसे क़रीबी तुम पर
गुस्सा करना छोड़ दे..!!
तब समझ लेना कि तुम उस इंसान
को खो चुके हो..!

जिस दिन जब मेरी मौत की खबर
मिलेगी तब लोग यही कहेंगे.,
बन्दा कभी मिला तो नही था लेकिन
पोस्ट अच्छी डालता था।

अपनी रोशनी की बुलंदी पर कभी न
इतराना
चिराग सब के बुझते है ,
हवा किसी की नही होती


मैंने खुदा से पूछा क्यों तू छीन लेता है
हमेशा “मेरी पसंद”
वो हंस कर बोला”मुझे भी पसंद है तेरी हर
पसंद”…!!!!


चलो आज करते हैं शेर-ओ-
शायरी का मुक़ाबला, तुम ले आओ मीर,
ग़ालिब, फ़राज़ की किताबें, मैं सिर्फ अपने
महबूब की तारीफ करूँगा…!

सिर्फ़ कुछ पल खुशियों के मांगे थे तेरे साथ
रब से,
इतना दिया जो उसने तो मेरी ख्वाहिशें
बढ गई…


कोई चेहरे का दीवाना, किसी को तन की तलब!!
अदाएं पीछा करवाती हैं, मोहब्बत कौन करता है

असल मे वही जीवन की चाल समझता है
जो सफर की धुल को भी गुलाल समझता है

ताल्लुक अगर हो तो रूह से रूह का होना चाहिए
दिल तो अक्सर एक – दुसरे से भर जाया करते है