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सिर्फ दिल का हक़दार बनाया था तुम्हें……
हद हो गयी तुमने तो जान भी ले ली..



बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने मुझे,
अब ना किसी को खोने का डर, ना पाने की चाहत।

अदॅर से तो कब के मर चुके है…

ऎ मोत तू भी आजा…
ये लौग सबूत मागॅते है ।

मैं रोज अपने खून का दिया जलाऊँगा,
ऐ इश्क तू एक बार अपनी मजार तो बता


अपने होंठो को मेरे होंठो से लगा दो,
कोई शिकायत होगी भी तो कह नहीं पाउँगा..!!

इस तरह से लूटा है हमें इश्क-ए
तमन्ना नें,
कि ज़िन्दगी भी छीन ली और जान
से भी नही मारा


मेरा कातिल कहीं मिले तो उसे ये खबर जरुर दे देना,
जिसका तुमने कत्ल किया था वो शक्स आज भी जिन्दा है !!


भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएँगे,
कैसे भरेगी वो जगह जहां तेरी कमी होगी !!

इश्क करने से पहले पूछी नहीं जाती ज़ात
महबूब की,

कुछ तो है दुनिया में जो आज
तक मजहबी नही हुआ…

हमदर्दीयों की भीख सी देने लगे हैं लोग ,,
यूँ अपने दिल का हाल ना सबसे कहा करो


इश्क के तोहफे, तुम क्या जानो सनम,
तुमने तो इश्क भी ऐसे किया, जैसे ख़रीदा हो


अगर बेवफाओं की अलग ही दुनिया होती तो,
मेरे वाली…कमीनी…वहाँ की रानी होती

दुनिया में सिर्फ दिल ही है जो बिना आराम किये काम करता है….
इसलिए उसे खुश रखो…..चाहे वो…….. अपना हो या अपनों का…


गरीबों की बस्ती में ज़रा जा कर देखो…
बच्चे भूखे तो मिलेंगे पर उदास नही…!!

जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर
हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता हे

तुम्हारी ही तरह जिद्दी है
ये उदासी भी,
तुम हो के आते ही नहीं
और ये है के जाती ही नहीं।