ना हाथ थाम सके ना पकड़ सके दामन,
बेहद ही करीब से गुजर कर बिछड़ गया कोई !!
*जिन्दगी में ‘कुछ’ चीजे भुलाई नही जा सकती*
*मेरी जिन्दगी में सब ‘कुछ’ सिर्फ तुम ही हो*
उनकी ना खाता थी हम ही गलत समझ बैठे दोस्तो
वो मोहब्बत से बात करते थे और हम मोहब्बत ही समझ बैठे
ज़िन्दगी तो बेवफ़ा है एक दिन ठुकराएगी…!!!
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मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी…!!!
यकीन नहीं होता फिर भी कर लेता हूँ…!!!
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जहाँ इतने हुए..एक और फरेब हो जाने दो…!!!
यूँ तो कोई शिकायत नहीं मुझे तेरे आज से,
मगर कभी – कभी बिता हुआ कल याद आता है..
नसीहत देता हूँ इसका मतलब ये नही…..
मैं समझदार हुँ….
बस हमने गलतिया आपसे ज्यादा की है।
मुझे फर्क नहीं पता अपनो और गैरो का,
हर कोई हँसा है मुझे रोता देखकर
*बेनाम ही रख ले अपना रिश्ता……*
*नाम देंगे तो दुनिया बदनाम कर देगी…..!!*
बहुत खूब कहा है किसी ने
जी लो हर पल को वरना ना जिदगी रहेगी और ना ही पल
इंतेजार भी कितनी अजीब चीज हे ना खुद करे तो,
गुस्सा आता है, और.. दूसरा कोई करे तो अच्छा लगता है।
नही थी मेरे हाथों में उसे पाने की लकीर
चीर दिया पूरा हाथ एक लकीर बनाने के लिए
जिंदगी भी अजीब है जैसे जैसे कम हो रही है
वैसे वैसे ज्यादा पसंद आती जा रही है…!!
तुम्हे क्या पता किस “दर्द” मे हूँ मैं !
जो कभी लिया ही नही,उस “कर्ज़” मे हूँ मैं
शायद मुझे सुकून तेरे पास ही मिले…
मुझको गले लगा बहुत बेक़रार हूँ……..
“क्या लिखूँ अपनी जिंदगी के बारे में दोस्तो,
वो लोग ही बिछड़ गए जो जिंदगी हुआ करते थे !!”