इंसान के चकनाचूर दिल के छोटे-छोटे टुकड़े
पहुंच गए हैं अब मोबाइल की ऍप्लिकेशनों में।
और उन छोटे-छोटे टुकड़ों के साथ
दिल के सब एहसास भी ट्रांसफर हो गये
इस छोटी सी मशीन में।
शायद इसलिए तो अब दिल टूटने से ज्यादा डर
मोबाइल के टूट जाने से लगने लगा है।
मन होना चाहिए किसी को याद करने की,
लम्हे तो अपने आप मिल जाएगे,
वक़्त होना चाहिए किसी को मिलने का,
बहाने तो अपने आप ही मिल जाएगे
फ़ासले मिटा कर
आपस मैं प्यार रखना,
रिश्ता हमेशा बरकरार रखना,
बिछड़ जाए कभी आपसे हम,
आँखों मैं हमेशा हमारा इंतज़ार रखना…
उसने पूछा की क्या-
“पसंद है तुम्हे”.??
और मैं बहुत देर तक,
“उसे देखता रहा”.
बदला बदला सा है मिजाज,
क्या बात हो गई
शिकायत हमसे है, या
किसी और से मुलाकात हो गई
देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं,
दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं,
नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से हो कर,
फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं।
हकीक़त थी….
ख्वाब था….
या तुम थे….
जो भी था….
हम तो उसी में गुम थे…
सनम तू मेरी बाहों में हो
काश, ऐसी भी कोई रात हो
तेरे होंठ मेरे होंठों को छू जाये
और मेरे जिस्म में भी तेरी सांस हो
Abhishek Landge
Abhishek landge
Abhishek landge
होंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल का
शायद नज़रों से वो बात हो जाए
इस उम्मीद से करते हैं इंतज़ार रात का
कि शायद सपनों में ही मुलाक़ात हो जाए!😘
कक्षा 7 की बात है
गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ते थे।
संस्कृत का कालांश चल रहा था।
गुरूजी दिवाली की छुट्टियों का कार्य बता रहे थे।
तभी शायद किसी शरारती विद्यार्थी के पटाखे से स्कूल के स्टोर रूम में पड़ी दरी और कपड़ो में आग लग गयी।
देखते ही देखते आग ने भीषण रूप धारण कर लिया।
वहां पड़ा सारा फर्निचर भी स्वाहा हो गया।
सभी विद्यार्थी पास के घरो से, हेडपम्पों से जो बर्तन हाथ में आया उसी में पानी भर भर कर आग बुझाने लगे।
आग शांत होने के काफी देर बाद स्टोर रूम में घुसे तो सभी विद्यार्थियों की दृष्टि स्टोर रूम की बालकनी(छज्जे) पर जल कर कोयला बने पक्षी की ओर गयी।
पक्षी की मुद्रा देख कर स्पष्ट था कि पक्षी ने उड़ कर अपनी जान बचाने का प्रयास तक नही किया था और वह स्वेच्छा से आग में भस्म हो गया था,
सभी को बहुत आश्चर्य हुआ।
एक विद्यार्थी ने उस जल कर कोयला बने पक्षी को धकेला तो उसके नीचे से तीन नवजात चूजे दिखाई दिए, जो सकुशल थे और चहक रहे थे।
उन्हें आग से बचाने के लिए पक्षी ने अपने पंखों के नीचे छिपा लिया और अपनी जान देकर अपने चूजों को बचा लिया था।
एक विद्यार्थी ने संस्कृत वाले गुरूजी से प्रश्न किया –
“गुरूजी, इस पक्षी को अपने बच्चो से कितना मोह था, कि इसने अपनी जान तक दे दी ?”
गुरूजी ने तनिक विचार कर कहा –
“नहीं,
यह मोह नहीं है अपितु माँ के ममत्व की पराकाष्ठा है, मोह करने वाला ऐसी विकट स्थिति में अपनी जान बचाता और भाग जाता।”
भगवान ने माँ को ममता दी है और इस दुनिया में माँ की ममता से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
कोई तो होगी
कही तो होगी
जो मेरे लिए गोल रोटी
बनाना सीख रही होगी
एक बार एक लड़का था ! जो एक लड़की को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था ! उसके परिवार वालों ने भी उसका कभी साथनहीं दिया ,फिर भी वो उस लड़की को प्यार करता रहा लेकिन लड़की कुछ देख नहीं सकती थी मतलब अंधी थी !लड़की हमेशा लड़के से कहती रहती थी कीतुम मुझे इतना प्यार क्यूँ करते हो ! मैं तुम्हारे किसी काम नहीं आ सकती मैं तुम्हें वो प्यार नहीं दे सकती जोकोई और देगा.लेकिन वो लड़का उसे हमेशा दिलाशा देता रहता कितुम ठीक हो जोओगी. तुम्हीं मेरा पहला प्यार हो और रहोगी फिर कुछ साल ये सिलसिला चलता रहता है.लड़का अपने पैसे से लड़की का ऑपरेशन करवाता है लड़की ऑपरेशन के बाद वह सब कुछ देख सब सकती थी लेकिन उससे पता चलता है की लड़का भी अँधा था तब लड़की कहती है कि मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकतीं. तुम तो अंधे हो और मैं किसी अंधे आदमी को अपना जीवन साथी नहीं चुनसकती. तुम्हारे साथ मेरा कोई future नहीं है तब लड़का मुस्कुराता है और जाने लगता है और उसके आखिरी बोल होते है मेरी आंखों का ख्याल रखना (
मैं वक़्त बन जाऊं, तू बन जाना
कोई लम्हा…
मैं तुझमे गुज़र जाऊं, तू मुझमें गुज़र
जाना…