आज रुठा हुआ इक दोस्त याद आया,
अच्छा गुजरा हुआ कुछ वक्त बहुत याद आया।



शब्द “दिल” से निकलते हैं…
“दिमाग”से तो उसके मतलब निकलते हैं…

कुछ दस्तकें, नींद तोड़ने आती हैं
और कुछ… सिर्फ दिल।

मैं कौन हूँ यह पता चल जाये तोह मुझे भी बता देना…
—” काफी दिनों से तलाश है मुझे मेरी “—


जो छलक न पाए ‘आँसू’ … उन्हें ‘बेबसी’ समझना …
जो छलक जाए, उन्हें मेरी ‘बेसब्री’ समझना ।।

मुझे नींद की इजाज़त भी उसकी यादों से लेनी पड़ती है,
जो खुद सो जाया करती है मुझे करवटों में छोड़ कर।


Kya Zaroorat Thi Door Jane Ki ,,
Pass Reh Kar B Mere Kab Thay Tum?


Sirf 2 Hi Waqt K Liye Tera Saath Chahiye…!!
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Aik To Abhi Aur Aik Humesha K Liye…!!

KitnA MushkiL HaI YeH ZindagI Ka SafaR KhudA Ne MARNA Haram KiyA HaI, LogoN Ne JEENA.


मर जाने के लिए थोड़ा ज़हर काफ़ी है,
मगर जीने के लिए काफ़ी ज़हर पीना पड़ता है।


सच्चा प्रेम भूत की तरह है ,
चर्चा उसकी सब करते हैं, देखा किसी ने नहीं !!!

जब दुशमन पत्थर मारे तो उसका जवाब फूल से दो..
मगर वो फूल उसकी कब्र पर होना चाहिये…..


मुद्दते हो गई चुप रहते..
कोई सुनता तो हम भी कुछ कहते…!!!

Roj kehti hun bhul jaungi use,
magar na jane kyun yeh baat roj bhul jati hun..!!

वो हमसे पूछते है की ख्वाबो में किसे देखते हो,
और हम है की कई उमर से सोए ही नहीं।