पसंन्द आया तो दिल में ,
नही तो दिमाग में भी नही ।
सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें ,
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।
शांखो से टूट जाये वो पत्ते नही हे हम ,
इन आंधीयों से केहदो जरा अपनी औकात में रहे ।
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी
और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ..!!
सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा ,
जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है
वो कागज आज भी फुलो से ज्यादा महकता है दोस्तों
जिस पर उन्होंने मजाक में लिखा था कि हमें तुमसे मोहब्बत है
तोड़ दिये मैंने घर के सारे ही आईने,
क्यूंकि इश्क में हारे हुए लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीं ।।
साजन कोई वकील मुझे ऐसा करा दे,,
जो हारा हुआ प्यार मुझे फिर से जिता दे।।
प्रेम के चक्रव्युह को तोड़ना जानती थी तुम….!!
मैं अभिमन्यु था,तो मारा गया….!!
रोकना मेरी हसरत थी, जाना उसका शौक . . . .
वो शौक पूरा कर गया, मेरी हसरतेँ तोङ कर .
जीवन में एक दोस्त कर्ण जैसा भी जरूर होना चाहिए,
जो तुम्हारे गलत होते हुए भी तुम्हारे लिए युद्ध करे.
वो तो हम जैसे शायरों ने लफ़्ज़ों सेसजा रखा है…
वरना मोहब्बत इतनी भी हसीं नहीँ होती…
एक तो कातिल सर्दी, ऊपर से तेरी यादो की धुंध,
बेहाल कर रखा है इश्क मे मौसमो ने भी।….
इत्तेफ़ाक़ से मिल जाते हो जब वो राह में कभी,
यूँ लगता है करीब से ज़िन्दगी जा रही हो जैसे।
में बहुत ज़ालिम हूँ ऐ मेरे दिल…..
तुझे हमेशा उसके हवाले किया है,
जिसे तेरी कदर ही नहीं…!!
पतंग सी हैं जिंदगी, कहाँ तक जाएगी..!
रात हो या उम्र, एक ना एक दिन कट ही जाएगी.