~Ab Toh Bas Jaan Dene Ki Baari Haii,
Meiin Kaha Tak Saabit Karu Mujh Meiin Bhii Waffa Haii .. ‘
चलो मान लेता हुँ कि मुझे महोब्बत करनी नही आती
.
पर यह तो बता तुझे दिल तोडना किसने सिखाया
जो आप से दिल से बात करता हो
.
उसे कभी दिमाग से जवाब मत देना
वो कर रहे थे महफिल मे जिक्र अपनी वफा का
.
नजर मुझ पर पडी तो बात ही पलट दी
काश कि कयामत के दिन हिसाब हो सब बेबफाओँ का ,
और वो मुझसे लिपट कर कहे कि,मेरा नाम मत लेना …!!
नही है मेरे पास दोलत का ढेर,
.
पर प्यार से पूरी दुनिया खरीदने की औकात रखता हूँ
मै नही जानता मै क्यो लिखता हूँ,
बस ये खाली कागज मुझसे देखे नही जाते
ऐ चाँद तू किस मजहब का है
.
ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
वो सामने आये तो अज़ब तमाशा हुआ;
हर शिकायत ने जैसे ख़ुदकुशी कर ली।
-Tumharii Yeh Aam Sii Baateiin
Mujhey Bohat Khas Lagtii Haii .. ‘
मत चाहो किसी को इतना टूटकर ज़िन्दगी में,
अगर बिछङ गये तो हर एक अदा तंग करेगी!!
उसे तो हमारी महोब्बत ने मशहूर कर दिया
.
बेवफा वरना तू सुर्खियो मेँ रहे तेरी इतनी औकात नही
बस एक चेहरे ने तन्हा कर दिया हमे
वरना हम खुद महफिल हुआ करते थे
तरस जाओगे मेरे लबोँ से सुनने को एक लफ्ज,
प्यार की बात तो दूर, हम शिकायत भी नही करेगे
सीख रहा हूँ धीरे-धीरे तेरे शहर के रीवाज
.
जिस से मतलब निकल जाये उसे जिंदगी से निकाल दो
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,
कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो। –