हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की,
आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है.
बेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना,
कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़ देना.
कौन कहता है कि मुसाफिर ज़ख़्मी नहीं होते,
रास्ते गवाह है बस गवाही नहीं देते.
वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती,
ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है!!
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से….
या तो दोनों आते हैं …. या कोई नहीं आता !!
निगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब..
जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!!
नहीं चाहिए कुछ भी तेरी इश्क़ कि दूकान से,
हर चीज में मिलावट है बेवफाई कि..
वो मेरी होगी तो लौट आएगी एक दिन मेरे पास,
हम जिसे प्यार करते है उसे कैद नहीं करते !!
कितनी रौनकें कितने मंजर, न जाने कितने शहर देखे, पर…
गाँव हमें अब भी वहीं प्यारा है, जहाँ हमने अपने पुरखों के घर देखे.
दुपट्टा क्या रख लिया सर पे,वो दुल्हन नजर आने लगी…!!
उनकी तो अदा हो गई और जान हमारी जाने लगी…!!
“मुझसे जब_भी मिलो तो नजरे उठा_के मिला_करो,
मुझे_पसंद है अपने_आप को आपकी_आँखो मे देखना”
मन्दिर मस्जिद सी थी मोहब्बत मेरी,
बेपनाह इबादत थी फिर भी एक न हो सके
“तुम्हे इस हद तक चाहने की तमन्ना है की,
मेरे जाने के बाद भी तुम मेरे लिए जी सको !!”
वक़्त और प्यार दोनों ज़िन्दगी में ख़ास होते हैं ..
वक़्त किसे का नहीं होता और प्यार हर किसी से नहीं होता।
जिंदगी की उलझनों ने मेरी शरारतें कम कर दीं,
और लोग समझते है कि मैं समझदार हो गया
वो कहते हैं कौनसी दुनियां में जीते हो ..
तो हमने कहा मुहब्बत में दुनिया कहा नजर आती हैं