भुला के मुझको, अगर आप भी हो सलामत,…
तो भुला के मुझको, सम्भालना मुझे भी आता हैं !
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है….
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर !!
दो हिस्सों में बंट गए है, मेरे दिल के तमाम अरमान…
कुछ तुझे पाने निकले, तो कुछ मुझे समझाने निकले….
ना जाने कैसा रिश्ता है इस दिल का तुझसे..
धड़कना भूल सकता है पर तेरा नाम नही
जिन्दगी में ‘कुछ’ चीजे भुलाई नही जा सकती
मेरी जिन्दगी में सब ‘कुछ’ सिर्फ तुम ही हो
Auron se to pyaar ka rishta bhi nahi tha..
Tum itne badal jaoge socha bi nai tha…?
उसके जाने के बाद मोहब्बत नहीं करते हम किसी से
छोटी सी ज़िन्दगी है किस किस को आजमाते रहेंगे
मोहब्बत थी, तो चाँद अच्छा था..!
उतर गई, तो दाग भी दिखने लगे..
अपनी पहचान का तुझसे हवाला चाहु
कितना पागल हूँ जो अँधेरे से उजाला चाहु
जिस जिस ने मुहब्बत में, अपने महबूब को खुदा कर दिया,
खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए, उनको जुदा कर दिया.
क़यामत के रोज़ फ़रिश्तों ने जब माँगा उससे ज़िन्दगी का हिसाब,
ख़ुदा, खुद मुस्कुरा के बोला, जाने दो, ‘मोहब्बत’ की है इसने.
“मर्दाना कमजोरी” के इलाज पर रंगी हुई है शहरों की दीवारें…
और लोग कहते हैं कि “औरतें कमज़ोर” हैं…
गुनाह नहीं होगा तेरे नाम के साथ अपना नाम जोड़ना,,,
बस डर ये है कि तुझे कोई बदनाम ना करे……
कुछ खूबसूरत पलों की महक सी हैं तेरी यादें,
सुकून ये भी है कि ये कभी मुरझाती नही..
जनवरी से तुम्हें खुशियाँ मिली क्या यारो,
मैं तो अब भी तन्हा हूँ दिसंबर की तरह !!
सोचा था आज कुछ तेरे सिवा सोचूँ
तब से सोच में हूँ कि और क्या सोचूँ