दो चार नहीं…मुझे सिर्फ एक दिखा दो…
वो शख्स…जो अन्दर भी बाहर जैसा हो… !
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से..
या तो दोनों आते हैं, या कोई नहीं आता..
कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग,
दर्द पढ़ते है और आह तक नहीं करते।
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने,
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए..!
छोटे थे तो सब नाम से बुलाते थे,
बड़े हुए तो बस काम से बुलाते है
वक्त निकाल कर अपनों से मिल लिया करो,
अगर अपने ही ना होंगे तो, क्या करोगे वक्त का ???
तेरी जरूरत, तेरा इंतजार और ये तन्हा आलम,
थक कर मुस्कुरा देती हूँ, मैं जब रो नहीं पाती !!
तेरी गली में आकर के खो गये हैं दोंनो.!
मैं दिल को ढ़ूँढ़ता हुँ दिल तुमको ढ़ूँढ़ता है.!
बहुत भीड़ है मोहब्बत के इस शहर में,
एक बार जो बिछड़ा, वो दोबारा नहीं मिलता..
अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का
कि मुझे भूल जाओ तो मानूँ मोहब्बत है !
याद रहेगा ये दौर-ए-हयात हमको,
क्या खूब तरसे हैं जिन्दगी में एक शख्स के लिए ।।
सादगी अगर हो लफ्जो मे, यकीन मानो,
प्यार बेपनाह,और दोस्त बेमिसाल मिल ही जाते हैं !!
सिलसिला ये चाहत का दोनो तरफ से था,
वो मेरी जान चाहती थी और मैं जान से ज्यादा उसे।
मार्केट में लड़की की स्कूटी ख़राब होने पर,
आसपास के लड़कों के अंदर का मैकेनिक जाग जाता है !!
सवर रही है….अब वो …. किसी और के लिए,
पर मैं…. बिखर रहा हूँ …..आज भी उसी के लिए
ना किया करो कभी किसी से दिल दुखाने वाली बात…
सुना है दिल पे निशाँ रह जाते हैं सदियो तक.