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तेरी जुदाई का शिकवा करूँ
भी तो किससे करूँ।
यहाँ तो हर कोई अब
भी मुझे तेरा समझता हैं…!!



यही सोच कर उसकी हर बात को सच मानते थे,
के इतने खुबसूरत होंठ झूठ कैसे बोलेंगे.

तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की.
हम तो बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे

जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे,
और दफनाने वाले भी अपने थे.


अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा …!!
क़े तुम वक़्त गुज़ारो और, हम प्यार समझें,

मुझे मालूम है कि ये ख़्वाब झूठे हैं और ख़्वाहिशे अधूरी हैं …
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ ऐसी ग़लतफ़हमियाँ जरूरी हैं


रखते थे जो मरने कि बात पे मेरे होठों पे उगंलीया
अफसोस वही मेरे कातिल निकले


तु मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है..
”सुकुन” बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर

वक़्त भी लेता है करवटे ना जाने क्या क्या …
उमर इतनी तो नही थी जितने सबक सीख लिये हमने

मेरा कुछ ना ऊखाड सकोगे तुम मुझसे दुश्मनी करके….
मुझे बर्बाद करना चाहते हो तो,मुझसे मोहब्बत कर लो


अब शिकायतेँ तुम से नहीँ खुद से है..
माना के सारे झूठ तेरे थे..
लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था


मुझे मालूम था कि वो रास्ते कभी मेरी मंजिल तक नहीं जाते थे ..
फिर भीमैं चलता रहा क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते थे

खेलने दो उन्हें जब तक जी न भर जाए उनका.,…,
मोहब्बत 4 दिन की थी तो शौक कितने दिन का होगा…….?


मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है।
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।।

मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है।
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।।

तुझे पाने की चाह में इतना कुछ खोया है,
की अब तू मिल भी जाए तो भी अफ़सोस होगा।