पहला कैदी – शक्लें भी खूब धोखा देती हैं | एक बार एक साहब मुझे दिलीप कुमार समझ बैठे |

दूसरा कैदी – ठीक कह रहे हो , मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ | मुझे देखकर एक साहब जवाहरलाल नेहरू का धोखा खा गए |

तीसरा कैदी – अजी , यह तो कुछ भी नहीं | मैं जब चौथी बार जेल पहुंचा . तो जेलर बोला – हे भगवान ! तू फिर आ गया |


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